अनुसूचित जाति के संदर्भ में प्राथमिक स्तर पीआर बालिका शिक्षा की स्थिति एक अध्ययन | Anusuchit Jati Ke Sandarbh Me Prathmik Istar Par Balika sthiti ek Adhyayan

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Anusuchit Jati Ke Sandarbh Me Prathmik Istar Par Balika sthiti ek Adhyayan by नरेन्द्र कुमार सिंह यादव - Narendra Kumar Singh Yadav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जाति में खासकर स्त्री शिक्षा के विकास के लिए प्रयत्न शील हो गये। सरदार पटेल ने भी एक अवसर पर कहा था कि “जब तक प्रत्येक हरिजन हिन्दुस्तान के ऊँचे से ऊँचे आदमियों के साथ बराबरी का दावा या अधिकार नही पा लेता तब तकं भारत की आजादी अधूरी रह जायेगी गाँधी जी ने जो कार्य अखिल भारतीय पैमाने पर किया, उसी को डा0 अम्बेडकर दलित वर्गो के क्षेत्र में किया। अपने जातीय नेता अम्बेडकर की अध्यक्षता में हरिजनों ने अपने राजनैतिक , सामाजिक एवं आर्थिक मांगो को सरकार तथा जनता के समक्ष रखा ओर उनको उपलब्ध किया। यह कहना अत्युक्ति न होगा कि हरिजनो में जागरण का सूत्रपात करने का श्रेय महात्मा गधी के पश्चात्‌ अम्बेडकर को ही प्राप्त है। इनके विकास के लिए बालिका (स्त्री) शिक्षा अतिआवश्यक है। क्योकि स्त्री ही भावी देश के नागरिकों का निर्माण करती हैं तो निर्माण करने वाली वस्तु जेसी होगी वैसे ही हमारे भावी नागरिक होगे अतः “एक शिक्षित स्त्री सैकड़ों शिक्षित पुरूष ही नही बल्कि सैकड़ो शिक्षको के बराबर कार्य करेगी” इसी सन्दर्भ मे बालिका स्त्री) रिक्षा कं महत्व को व्यक्त करते हुए पेस्टोलॉँजी ने कहा है। कि --- एक शिक्षित माता सो शिक्षको के बराबर होती हे/“ प्राथमिक धिभ्ना का महत्व किसी भी देश की प्रगति वहाँ के जनसाधारण की शिक्षा पर निर्भर करती है साधारणतया किसी देश के विकास में शिक्षा के अतिरिक्त अन्य कई कारण भी उसकी उन्नति मेँ अपना योगदान देते है। फिर भी यदि देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित होगा तौ वह देश के प्रति अपने अधिकारों ओर कर्तव्यो के प्रति पूर्णतया सजग होगा| जिस प्रकार बालक के विकास क्रम में शेश्वावस्था का अत्याधिक महत्व होता है। उसी प्रकार शिक्षा के औपचारिक क्रम में प्राथमिक शिक्षा का महत्व होता हे । प्राथमिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा व विधिवत्‌ शैक्षिक चे का प्रथम स्तर है। प्राथमिक शिक्षा स्तर मे बच्चे किसी संख्या में नियमित ढंग से विद्याध्ययन आरम्भ कर देते है अतः कक्षा एक से लेकर पच तक की शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा कहा जाता है प्राथमिक शिक्षा का सम्बन्ध किसी विशेष वर्ग के बालक, न होकर वरन्‌ देश की सम्पूर्णं जनसंख्या से होता है। भारत मे हमने प्रजातन्त्र ५८ (8)




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