संसदीय प्रक्रिया | Sansdiya Prakriya

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Sansdiya Prakriya by सुभाष काश्यप - Subhash Kashyap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हमारी राजनैतिक व्यवस्था में सदन का स्यान स्थित घोर मतदान करने वाले सदस्यों से से कम से कम दो तिहाई सदस्यों द्वारा समधित मकहैप द्वारा घोषणा वरनी है किं राष्ट्रीय हित में ऐसा करना धावश्यवक या समीनीन है तो मक्धिन के प्रीत सद्‌ को, विधि दारा, सप श्रौर राज्यों के निर्‌ सम्मिलित एक या अधिक प्रपि भारतीय सेवापो के सृजन वे लिए उपवन्ध बने बी घन प्राप्त हो जाती है । रासद के दोनों गरनों दे बौद राम्वस्थ श्रावश्यक हैं । ऐसे बहुत से अपर पति हैं व दोनों मदन को के दूसरे मे सम्परकं स्यापित करना होता हैं । ऐसा श्राय एव सदन द्वारा दूसर का लिखिल संदेश भेज कर किया जाता । {कवित संदेश एक सदन मे पाग हुए किध्रेयक को दूसरे रादन से भेजते के लिए श्रधवा प्रस्ताय सपा सहल्प पास बरकें दूगरे बी. जानवारी के लिए प्रथवा सड़मति प्राप्त बनने के निए गन जाते हैं । राम्पेें के फ्रस्प तरीके हैं सपुक्त समितियों को बेठरें प्रथवा दोनों सदनों थी गपुक्त बैटकों 1 संपदे श्रीर सर फरर ममदौीप नारमत मे मसद प्रौर सरकार क विधानपानिका ! [6४0 ०1८1 01८) प्रर फायंधानिका (६२८८५११८) वा दम्वन्ध पन्यन्त घनिष्ट होत + हषारे गि धान वै श्रम्तगेत गा राष्ट्ति ससद का एक प्रन है व कायंपानित्रा का प्रमु मी वहीं है । गार्थपालिका को सारी शह्थियाँ राष्ट्रपति थे निल्तिषैप्रौर इतका प्रयोग बह सवय अधवा प्रपरते घ्सीनस्व प्रशिकारियों वे द्वारा र शक्ता टै 1 दम निमे गर्वा के सभी बध साट्रपति जे नाम से हो थिये जाते हैं । छिनतु स्विधान का पह भी भादेश है कि. राष्ट्रपति अपने सभी छत्यों का निर्वहन सदी-परिषद्‌ को महाता घौर एगामणे (१५ त्त्‌ उदणल्टो के द्वारा हीं करे । राष्ट्रपति वस्तुत एव ध्रौपसा शव (०0131, उहटार तय, साविधानिक 1(एाकाए 0001 प्रयवा नाप्रमाच् का (0१) प्रम होता । मत्री धरियिद्‌ ही चाम्तथिव कार्प- पालिका होती है तया प्रप्रास सभी उसवा प्रमुख । प्रत्येक नह तोत तभ पै विधिवत सिर्वाचिस घर गत के पश्चात्‌ साप्ट्रपति ऐसे दल या दलों के सेता को सरकार बनाने के जिए आपतित करता है जिसे लोक सभा मेध्राधेमे प्रधिष सदम्योका समर्थन प्राप्त हो 1 इस प्रकार, प्रधान सची की सियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है 1 मंत्री राष्ट्रपति द्वारा प्रधान सत्री वी मत्रणा से नियुक्त किए जाने हैं । राष्ट्रपति को ग्रधान मंत्री नियुक्त वरने में निजी इच्छा (टकरा! काञदता०त) का प्रयोग बरने का प्राय कोई भ्रवगर नहीं मिसता । परन्तु यदि भसौ द्थिति पेदा हो जाए कि शिसी भी दल को लोक सभा में स्पष्ट बहुपत प्राप्त न हो दो राप्ट्रपति विसी ऐसे नेतावा खयन करने मे म्वविवेक (161५10५० ।पपह्टफारा ६1 का प्रयोग कर समता है नि, उसकी राय मे, गदन मैं बटुमत वा गमर्थन प्राप्त होने को सम्भावना हो ।




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