भारतीय अर्थशास्त्र एवं आर्थिक विकास | Bhartiya Arthsastra Avam Aarthik Vikas

Bhartiya Arthsastra Avam Aarthik Vikas by डॉ जगदीश नारायण निगम - Dr. Jagdish Narayan Nigam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मास्तीय च्र्थशाल्न का शरर्थ, विपय, तेन, एव श्रध्ययन का महत्व ६ समझ लें । यदद एक ऐसा पिपय है जिसमें च्रन्तगत हम मास दी वर्तमान समय फी पिभिनन द्ार्थिक समस्या्या का पिश्लेपशात्मर अ्व्ययन करते हैं। ऐसे श्रथ्ययन का कपल यही उद्देश्य होता हैं सि हम देश वी यार्थिक स्थिति से भली प्रगार परिचित हो * जायें जिसके द्ाघार पर हम टेश वी भायी थार्थिक प्रदत्तियों का सफलवतापूर्वर द्नुमान लगा सप्ते ह| देश खी द्वार्यिक स्थिति का ऐसा वस्तुगत (०७१९०11८) ग्रययन देश वी श्राधिफर समृद्धि एव यिकास वे लिए धना जाने वाली योजनाग्राकेदिवु पथपरदृशंन का कायं करेगा 1 लि श्रत मारतीय यर्थशात्र वह शास्त्र है जिंसक श्रनगंत हम मारत षौ पिमिनन द्वार्थिक समस्था्धा का रिस्वृत एय वैदानिर च्रध्ययन क्र हैं श्र उन समस्याद्धों के नियारणु के लिए; मुमाम प्रस्तुत करने हैं । इसके लिए हम देश पी मीगोलिक, सामाजिक एवं राजनैतिर दशाया वामी यथ्ययन करना पडता है और साथ ही उनया देशवासियों क य्ार्थिर जीयन पर क्या प्रमाय पडता है इसका भी छान . प्राप्त करना श्निभर्य होता है क्यामि आउनिर युग म देश की द्यार्थिक स्थिति इन सामाजिक एवं राजनैतिक सस्थाय्ों से प्रभायित हुए पिन नहीं रह सकती । भासे वासया कौ दस स्यकाक्टु द्नुमय है । ययपि भारत व्राज एत स्वाधीन देश है. दौर जिसे ससार का एक महान्‌ प्रचातनत देश कहलाये जाने वा. गौर प्रात फिर भी श्राजरेकृटवप पूयं तत यह दारुता भी जजीरा में जरुड़ा हुया था सर इस काल में हमारे देश का जो दार्थिक शोपण (८८०००0ा1८ €:ु1010201070 हुआ है उससे प्रत्येक देशयासी मलीमाँति परिचित है । एक पिंदेशी शासन ऊ सधीन होने पर टेश ग्रथने ्रा्िक ल्य को नहीं प्राप्त वर सकता । स्वतन होने के पूरे हमारे देश में अग्रेजों वा शासन था जिन्‍्हांने सं हमारे देश को रने वाभि लच्या गी परनि का नेल साधन माय ही समझ । परिगामस्पररूप हमारे देश का इतना द्ार्थिक पतन हो गया कि स्वतनना प्राप्त होने के लगमग १३ वय पश्चात्‌ मी देश थी द्वार्थिक स्थिति गम्मीर ही मनी हुई है द्ीर ये दिन देशयासियां के सामने नेक द्ायिक कटिनाइयोँ नी ही रहती हैं । देश म रन्न दी कमी, यायश्यक वस्तुद्धां वां श्वपर्ाप्त उत्पादन एवं देश के श्रारयिक पिकास सम्बन्धी ने समस्याएँ राष्ट्र के लिए चिन्ता था प्रिय यनी हुई दं । भारतीय द्र्थशास्त्र वे पिवाथा क समक्त यदी ग्रौररेखीटी अनेक ग्राव समस्या ट चिना वह मारत कर भोगोन्लिकर, खामाजिक ए राजनेनिर पृष्ठभूमि भे प्रध्येपन एव विश्लेषण कपा है जये देश की शपि सम्बन्धी समस्वा्णै, ग्रीयोगिक रिकास ससमस्थी समस्पाएँ, यातायात, व्यागार एज वित्तीय समस्याएँ इत्यादि । भारतीय अर्थशाल का चेर (5००८ ० [प्रत्‌ ०००००१८०} भासतीय अर्थशास्त्र एक ऐसा रिपय है जिसके ्रध्ययन का चेन ग्रव्यन्त व्यापप है सैसा कि उपरोक्त परिमापा से सष्ट है। मारतीय श्रर्थशास्त्र के शस्र्गत हम माख की




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