आर्य संदेश | Aarya Sandesh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दिल्ली श्रायं प्रतिनिधि सभ। का साप्ताहिक मुखपत्र
म
एके प्रति ३५ वैते वार्षिक १९ रये ववं ७ कथ
रविवार २१ नवम्बर १९०८२
६ मार्गशीर्ष वि० २०३६ दयानष्दाब्द--१५८
राष्ट को बचाने को जिम्मेदारी श्रायंसमाज पर
चुनौती का जवाब हमें संयुवत भ्रौर संगठित होकर देना होगा-
केन्य राज्यमन्त्री कुमृद बेन जोको शौर भी रामगोपाल शालवाले का भाह्वान : दिल्लो मे महि निर्वाण महोत्सव
नहं दिल्ली । गाज राष्ठ को बवाने की जिम्मेदारी भायस्तनाज पर आई
है। मायसमाज एक सम्प्रदाय नही हैं एक संगठन है एक सस्या है, आज राष्ट
को समस्त जनता को जाप्रत करने और बचाने की जिम्मेदारी आयंसमाज पर आई
है। आज राष्ट्र के सामने जो चुनोनी आई है, उमे सगठित और मजबूत होकर
श्वार्यस्मान को जवाब देना होगा । आज हमे दयानश्द की जोत लेकर राष्ट्र बौर
राष्ट्रभक्ति की जोत सारे देश मे जगानी होगी--'इन श०दों में सोमवार १५
नवम्बर के दिन महर्षि सिर्वाण महोत्सब पर रामलीला मेदान मे आयोजित विशाल
सभा में केन्द्रीय राज्य मन्नी कुमारी कुमुद बेन जोशी ने महाँव दवानन्द के प्रति
मं भ्रद्धांजलि प्रस्तुत की ।
ध व को सम्बोधित करते हुए सावेदेशिक आय प्रतिनिधि सभा के
प्रधान श्री रामगोपाल शालवाले ने कहा--पिछले विनो हम प्रधानमंत्री इन्दिरा
गाँधी से मिले थे । उनसे हमते कहा था कि आयेंसमाज देश की अखण्डता, राष्ट्र
हथः! भारतीय सस्कृति का विरोध करनें बालो का विरोध करता है। आज देश के
सामने जो गम्भीर समस्या है, उसे सुलक्ञाने के लिए चाहे अप इमरजेंसी स्थापित
करें, चाहे राष्ट्रपति शासन लागू करें या फौज को शासन सौंपे किसी भी तरह
इस गम्भौर स्थिति को सुलज्ञाना होगद्ु। देश फ विभाजन ते सबसे ज्यादा कषति
जायंसमाज को पटली थी, यदि धब पञ्चाव मजहशरी सुवा बनता है तौ सर्वाधिष
क्षति आयसमाज को पहटुचेगौ। जनत्ताको जागरूक गौर सन्नद्ध होकर इस नए
बटवारे को रोकना होषा।
निर्वाण महोस्त्वं के अध्यक्ष स्वामी सत्यप्रकाश जो ने कहा--अगले वष
महि की निर्वाण शताब्दी है वर्ष भर में हमे प्रयत्न कर समर की सभी भाषाओ
में महाँवि ओर आर्यसमाज का सन्देश पहुंचा दना होगा ।
ससद सदस्य श्री भगवानदेव ने कहा महवि दयान द एक मह्दान ज्योति हनम्भ
थे हमे उनसे ज्योति लेकर प्रयत्न करना होगा कि देश में कोई गहार और दुष्मन न
पनपने पाए । भूतपूर्व ससद सदस्य श्री शिवकुमार शास्त्री ने कहा कि महर्षि निर्वाण
उत्सव पर हमें भारत, भारतीय भाषाओं एवं भारतीय सस्कृति को अपनाने का
सकल्प करना होगा । महर्षि निर्वाण महोत्सव को सफलता के लिए आय के द्रीय
सभा के प्रधान- श्री महाशय धर्मपालजी और श्री रतनचन्द्र सुद ने ११००) ११००)
डुपये दिए, श्री विज्ञाप्रकाश सेठी ने ५००) की सहायता दी।
सावंदेशिक के मन्ती श्री सच्चिदानव्द शास्त्री, योगीराज स्वामी ओमानन्द
जौ गआार्य केन्द्रीय सभा दिहली कै प्रधान महाशय धम॑पाल जी ने जनता का सामयिक
उद्बोधन किया । सभा से पूव यश्च एवं झण्होलोलन को कायक्रम सम्पन हुआ ।
सभा का कार्य सचालन सभा के महामव्त्री श्री सूयदेव ने किया ।
अकाली आन्दोजैन का वृदृता से
सामना किया जाए
अराजकता के उन्मूलन में देदा प्रधानमन्त्री के साथः
शी दालवाले का प्रघानमन्त्री के नाम पत्र
मई दिल्ली । सार्वदेशिक आय प्रतिनिधि सभा के प्रधान श्री रामभोपाल
शालवाले ने भारत को प्रधानमन्ती श्रीमती इन्दिरा बाँधी को एक पत्र लिखकर
मकासो आत्वोलन से विंगडती हुई फ्जाव की स्थिति के बारे में उनका ध्यान खोँचा
है जोर धियास्त दिलाया है कि जराजकता एवं देशद्रोट्दी तत्वों के उन्मूखन में सारा
देश उमके साथ हे । उन्हींगि ये सांग भो की कि. अराजकता उत्पन्न करने अलि
देशब्रोट्टी अकानी तत्वों के किष्ड वदा ॐ करवाई की जाए ।
श्री शाशपाले से कहा है रेल नें. उप स्थिति के कारण श्रमेक लिर्योय
धिभटनंकारी उत्व रिद क इवि के जिव आरे जा चुके हैं। ऐसी स्थिति में
आभार पर चिर चटा रहे हैं भढू. तिन्ता. गैर सरकार से अगुरोध है कि बहु जांच
का विषय देय शिकत भवः वो से. करे किसरंकारी उच्च पदों, नौकरियों,
हरयाणा रक्षावाहिनों अकालियों को
दिल्ली जाने से रोकेगी
चण्डोगढ़ तथा अबोहर-फाजिल्का हरयाणा मे लेने के लिये
धमंयद्ध आरम्भ... रोहतक में हरयाणा के धामिक तथा
सामाजिक कार्येकर्ताओ की बठक में महत्वपूर्ण निर्णय
रोहतक । ७ नवम्बर के दिन दयान-द मठ रोहतक मे हरयाणा रक्षा वाहिनी
की सभी जिलो मे स्वापित शाखाओं की सम्मिलित बंठक प्रो शेरसिह जी को
झष्यक्षता में सम्पन्न हुई । इस बेठक मे भायंतमाज के कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त
खनातन धमं, तिरकारी मष्डल, हरयाणा युवा स षषं समिति, मानव अधिकार
स षं समिति, हरमाणः सुरक्षा दल के कायंकर्ता भरी भारी श्या मे उपस्थित हए ।
इस अवसर पर अनेक तेताजो ने हरयाणा के हितो कौ रक्षाके लिए अपने पुक्षाव
विए।
सभी नेताओं ने हरियाणा रक्षा
अकाली देश के चित: करने के अमेक
अक शर चुके ह+ जहा महु
4 कष से ेषैन है, यतामि
जाः सं त त कवौ माषो को मकारं
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स ग्र है,
अनुभ दुभि करिानी एवे
का समर्थन दस वात को फुस्ड करता है ।
अुंबाव में उपवादी जकालियों डर
ननन बदन. + ५ >~
प्रीय श्रो भोर धरकारी उक
भं शिक किस में थे हैं।
रिणा त्रे बका पवी को हरी
का कौ ङो भान कर हेहै, पशु
वे दंजाने में ३० धर शर हिन्दी जावि
को कोई खद्िकार थहों देना चाहते ।
बिवेदन है क अदि वापने दुढता-
ष्ट्रः कुर्रा ष्यन रथा
बरायक तत्तें-से थोड़ा लिया को
1 ॥
वाहिनी के प्रधान प्रो० शेरसिह जी का
धन्यवाद करते हुए कहा कि आपने
सर्वप्रथम अवोहुर-फाजिल्का के हो हिन्दी
क्षेण हरियाना तं जिले कौ माद तथा
उश्रकादी अकालियों को ४६ अनुचित
मांगों की चिन्दा करके हरयाणा ङे हितो
की रक्षा के लियें हरवाणा रक्षा वाहिनी
का वरत करके ऐसिहासिक कार्य किया
है) मदि आगने इस सम्बन्ध में हरयाणा
का जयन करके जनयत सवारन किया
होता तो हरयाणा बै विष्ट एक
तरफा निर्णय हो आता ।
विचार विभश के पश्चात् सभा में
वे प्रस्ताव स्वीकार किए णए-
१ हरयाणा के हितों की रक्षा के
लिए प्रो शेरसिह जी को डिक्टेटर
नियुक्न किया गया ।
२ पंजाब के सिखो के गुद्दद्वारो में
अयकर अपराध करने वाले अपराधियों
ने शरण लौ हुई है । अत भारत सर
(शिष पृष्ठ ७ पर)
न्थ्रस्ापक--प्रह्.स्नलाल तलबाड़
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