उत्तररामचरितम और कुन्दमाला का तुलनात्मक अध्ययन | Uttararamacharitam Aur Kundamala Ka Tulanatmak Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
365
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कैकयी का शाङ्ग युधाजित् भरत आर श्रुध्न की अपने साथ ले
जात्ता है । इधर राजा दशरथ राम को तर्वगुणप्तम्पन्न देखकर उन्हें राज्य देने
का निश्चय करते हैं । राज्याशिषेक का उत्सव प्रारम्भ हीता है उधर मन्थरा
कैकयी कौ राय के विरूद्व भरत के राज्याभिष्ेफ फे लिए उकसाती है । कैकयी
अपने पुर्वं पचित्त दौ व्यौ के अनुसार दशरथ से राम का चौदह वर्षका वनवात
तथौ भरत की राजगदूदी देने कै लिए कहती है । वल्कल धारण करने कै
पष्चचातू राम सीता तथा लक्ष्मण के साथ रथ मैं बैठकर वन की और प्रस्थान
करते हैँ |
इसके पश्चात् दशरथ की सत्य ही जाती है । अराजकता के भप
से भरत कीं ना निहाल से बुलाया जाता है 1 अरत राज्य ग्रहण करना
अस्वीकार कर, देते हैं तथा इस कार्य के लिए कैकयी की भर्त्स॑ना करते हैं |
वह रैना स्व॑ पुजा सहित चित्रकूट की और प्ृस्थान करते है । राम के पाप
पहुँच कर उनवे राज्य ग्रहण करने का आह करते हैँ किन्तु राम का दुद्र निश्चय
देखकर भरत उनकी पाटुकारँ लेकर अयीध्या लौट आते हैँ |
चित्रकूट के पश्चात् राम दण्डकवन मैं पुवेश करते हैं । वहाँ विराध
नामक राक्षस का वध करते हैं । अगस्त्य मुनि के परामर्श ते राम फंववटी जाते
है | वहाँ उनका परिचय जटायु षै हीता है । राम वहाँ पर कुटी बनाकर
रहने लगते है । |
शुपणखा वृत्तान्त के पश्चात् उसके अपमान का बदला लेने के लिए
खर टुषण त्रिशिरा तथा चाौँदह हज़ार चाँदह राक्षस राम ते सुद्ध करने के लिए
आते हैं । राम अकेले ही उन सबका सँहार करते हैं । रावण का मन्त्रीं
अकम्पन सीत्ताहरण के 'लिर रावण की प्रत्साहित करता है । मारीच
स्वर्ण मुग का रूप धारण करके राम के आश्रम पर आता है । सीता के सृग
के पुति अभिलाषा देखकर राम उसे पकड़ने के लिए जातै है । तभी राम जैसे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...