उत्तररामचरितम और कुन्दमाला का तुलनात्मक अध्ययन | Uttararamacharitam Aur Kundamala Ka Tulanatmak Adhyayan

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Uttararamacharitam Aur Kundamala Ka Tulanatmak Adhyayan  by पूनम वार्ष्णेय - Punam Varshney

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कैकयी का शाङ्ग युधाजित्‌ भरत आर श्रुध्न की अपने साथ ले जात्ता है । इधर राजा दशरथ राम को तर्वगुणप्तम्पन्न देखकर उन्हें राज्य देने का निश्चय करते हैं । राज्याशिषेक का उत्सव प्रारम्भ हीता है उधर मन्थरा कैकयी कौ राय के विरूद्व भरत के राज्याभिष्ेफ फे लिए उकसाती है । कैकयी अपने पुर्वं पचित्त दौ व्यौ के अनुसार दशरथ से राम का चौदह वर्षका वनवात तथौ भरत की राजगदूदी देने कै लिए कहती है । वल्कल धारण करने कै पष्चचातू राम सीता तथा लक्ष्मण के साथ रथ मैं बैठकर वन की और प्रस्थान करते हैँ | इसके पश्चात्‌ दशरथ की सत्य ही जाती है । अराजकता के भप से भरत कीं ना निहाल से बुलाया जाता है 1 अरत राज्य ग्रहण करना अस्वीकार कर, देते हैं तथा इस कार्य के लिए कैकयी की भर्त्स॑ना करते हैं | वह रैना स्व॑ पुजा सहित चित्रकूट की और प्ृस्थान करते है । राम के पाप पहुँच कर उनवे राज्य ग्रहण करने का आह करते हैँ किन्तु राम का दुद्र निश्चय देखकर भरत उनकी पाटुकारँ लेकर अयीध्या लौट आते हैँ | चित्रकूट के पश्चात्‌ राम दण्डकवन मैं पुवेश करते हैं । वहाँ विराध नामक राक्षस का वध करते हैं । अगस्त्य मुनि के परामर्श ते राम फंववटी जाते है | वहाँ उनका परिचय जटायु षै हीता है । राम वहाँ पर कुटी बनाकर रहने लगते है । | शुपणखा वृत्तान्त के पश्चात्‌ उसके अपमान का बदला लेने के लिए खर टुषण त्रिशिरा तथा चाौँदह हज़ार चाँदह राक्षस राम ते सुद्ध करने के लिए आते हैं । राम अकेले ही उन सबका सँहार करते हैं । रावण का मन्त्रीं अकम्पन सीत्ताहरण के 'लिर रावण की प्रत्साहित करता है । मारीच स्वर्ण मुग का रूप धारण करके राम के आश्रम पर आता है । सीता के सृग के पुति अभिलाषा देखकर राम उसे पकड़ने के लिए जातै है । तभी राम जैसे




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