भोजराज विरचित चम्पूरामायण का आलोचनात्मक अध्ययन | Bhoj Raj Virchit Champuramayan Ka Aalochanatmak Adhyayan

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Bhoj Raj Virchit Champuramayan Ka Aalochanatmak Adhyayan  by राधा रानी वर्मा - Radha Rani Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ये भारत -वर्ष के विभिन्‍न भागों में जाकर बसे। इन्हीं परमारों की एक शाखां नवम शताब्दी मै मालवा भ अकर बसी जो मालवा के राजा के रूप मैं प्रसिद्ध हुए। मालवा के परमार राज्य का संस्थापक राजा उपन्द्रराज था। इतिहास म यह कृष्णराज के नाम से प्रसिद्ध है। इसका शासनकाल विक्रम संवत के नवम शताब्दी का प्रारम्भ माना जाता है। इनके वंश परम्परा का संक्षेप मैं विवरण इस प्रकार है ^ उपन्द्र- ई0 सन्‌ 808 से 837 वरसिंह प्रथम - ई0 सन्‌ 837 से 863 सीयक प्रथम - ६0 सन्‌ 863 से 890-9। वाक्पति प्रथम - 80 सन्‌ 890-91 से 917- 18 {0 तक वरसिंह द्वितीय ६0 सन्‌ 917- 18; से 949 {0 तक सीयक द्वितीय - ६0 सन्‌ 949 से 973 ई0 तक [अंज वाक्पति द्वितीय - 0 सन्‌ 973-74 से 996 ई0 तक सिन्धुराज [सिन्धुल|| - 0 सन्‌ 996 से 999 ई0 उपुर्पक्त विवरण मैं वाक्पति मंज एव सिन्धुल सगे भाई हैं, कुछ लोगों के (भोज के प्रबन्ध मत म सिन्धुल ज्येष्ठ एवं वावपति मुंज कनिष्ठ माने गये हैं। किन्तु इतिहास मैं वाक्पति मुज को ही ज्येष्ठ बन्धु माना ग्या है। सीयक द्वितीय के उत्तराधिकारी के रूप मैं वाक्पति मुंज ही थे। क उनके समय ओ मालव के परमारों की शक्ति का. चरमोत्कर्ष रहा। राजा गंज ने मुंजपति, उत्पलराज, अमोघवर्ष, पुथ्वीवल्लभ, श्रीवल्लभ अदि अनेक उपाधियों को धारण किया जो सम्मान के रूप में तत्कालीन विद्वानों से प्राप्त हुई। इससे विद्वान्‌ एवं पराक्रमी होने की प्रमाणिकता सिद्ध होती है। उपन्द्र -नांथ के अनुसार मुंज ने लगभग 974 ६0 म प्रशासन की. बागडोर सम्भाती और 995 ई0 तक राज्य के अधिष्ठाता रहे। वाक्पति मुंज न केवल असाधारण योद्धा आल त त त त त त त । ॥ त 9 त 0 2 त आ ह आ ष त त त. १ 7 0 त 0 त आ त आ 7 । परमार वंश का इतिहास पृष्ठ संख्या 20 से 59.




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