हिन्दी कहानी साहित्य में स्त्रियॉं की सामाजिक भूमिका विशेष अध्ययन | Hindi Kahani Sahity Men Striyon Ki Samajik Bhoomika Vishesh Adhayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 ब्रह्मचर्येण कन्या युवान विन्दते पतिम ब्रह्मचर्य की समाप्ती पर कन्या का पाणिग्रहण सस्कार होता था | आश्वलायनश्रौतसूत्र मे समान ब्रह्मचर्यम्‌ कहकर स्त्रियो के लिए भी शिक्षा की अनिवार्यता सिद्ध की | वेदिक काल से लेकर ईसवी शताब्दी के प्रारम्भ तक कन्या का वेदाध्ययन उपनयन सस्कार से प्रारम्भ होता था । सूत्र युगमे भी स्त्रियों वेदो का अध्ययन करती थी | तथा मव्रोच्चारण करती थी । तैत्तिरीय के उपाख्यान से प्रमाणित होता है कि कन्याए धार्मिक शिक्षा में रुचि रखती थी | वृहदारण्यकोपनिषद्‌ मे विदुषी पुत्री की आकाक्षा व्यक्त की गईं है | अथ य इच्छेद्‌ दुहिता मेँ पण्डिता जायेत सर्वमायुरियादिति । तिलौदनं पचचित्वा सर्पिष्मन्तमश्नीयातामीश्वरौ जनयितवै : || त्याग, ओर तपस्या से कन्याए ऋषि भाव प्राप्त करती थी। मत्र दृष्टा ऋषियो की तरह घोषा, गोधा, विश्ववारा, अपाला, रोमशा, लोपामुद्रा प्रभृति अनेक तऋषिकाओ का उल्लेख मिलता है । इनकी सूची इस प्रकार है--- नाम दृष्टमंत्र ओर संख्या 1 अगस्त स्वसा - ऋग्वेद 10८60८6 एक 2 अदिति - ऋग्वेद 10८72 ८1-9 नौ 3 अपाला - ऋग्वेद 8८91 ८1-7सात 4. इन्द्राणी - ऋग्वेद 10८1454८1-6 छ इन्द्राणी - ऋग्वेद 10/८6८1-23 तेईस 5. ईन्द्र-मातर - ऋग्वेद 10,८1534८1-5 रपौच 1 अथर्ववेद (11८5८18) ° वृहराण्य कोपनिषद (6,८4.417)




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