हिन्दी कहानी साहित्य में स्त्रियॉं की सामाजिक भूमिका विशेष अध्ययन | Hindi Kahani Sahity Men Striyon Ki Samajik Bhoomika Vishesh Adhayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
263
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ब्रह्मचर्येण कन्या युवान विन्दते पतिम
ब्रह्मचर्य की समाप्ती पर कन्या का पाणिग्रहण
सस्कार होता था |
आश्वलायनश्रौतसूत्र मे समान ब्रह्मचर्यम् कहकर स्त्रियो के लिए भी शिक्षा
की अनिवार्यता सिद्ध की |
वेदिक काल से लेकर ईसवी शताब्दी के प्रारम्भ तक कन्या का
वेदाध्ययन उपनयन सस्कार से प्रारम्भ होता था । सूत्र युगमे भी स्त्रियों वेदो
का अध्ययन करती थी | तथा मव्रोच्चारण करती थी । तैत्तिरीय के उपाख्यान
से प्रमाणित होता है कि कन्याए धार्मिक शिक्षा में रुचि रखती थी |
वृहदारण्यकोपनिषद् मे विदुषी पुत्री की आकाक्षा व्यक्त की गईं है |
अथ य इच्छेद् दुहिता मेँ पण्डिता जायेत सर्वमायुरियादिति ।
तिलौदनं पचचित्वा सर्पिष्मन्तमश्नीयातामीश्वरौ जनयितवै : ||
त्याग, ओर तपस्या से कन्याए ऋषि भाव प्राप्त करती थी। मत्र दृष्टा
ऋषियो की तरह घोषा, गोधा, विश्ववारा, अपाला, रोमशा, लोपामुद्रा प्रभृति अनेक
तऋषिकाओ का उल्लेख मिलता है । इनकी सूची इस प्रकार है---
नाम दृष्टमंत्र ओर संख्या
1 अगस्त स्वसा - ऋग्वेद 10८60८6 एक
2 अदिति - ऋग्वेद 10८72 ८1-9 नौ
3 अपाला - ऋग्वेद 8८91 ८1-7सात
4. इन्द्राणी - ऋग्वेद 10८1454८1-6 छ
इन्द्राणी - ऋग्वेद 10/८6८1-23 तेईस
5. ईन्द्र-मातर - ऋग्वेद 10,८1534८1-5 रपौच
1 अथर्ववेद (11८5८18)
° वृहराण्य कोपनिषद (6,८4.417)
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