धर्म और विज्ञान | Dharma Or Vigyan

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Dharma Or Vigyan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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{ ९ ) सम्मानित किया और उसे अपना रक्षक कहने लगे। उसी उपाधि (टालेमी रक्षक) भे मकदूनिया वंशी अन्य समिश्रनरेशों से वह अब शी पहचाना जाता है । ः उसने अपनी राजघानी, देश फे पुराने राज्यनगरों सें से किसी में न जमाकर फेवल अलेगूजद्विया में स्थापित फी, “जूपिटर एमन के मन्दिर पर चढ़ाई करने फे समय सिकन्द्रने उस नगर की नीव रन विचार से हलवाई थी कि वह नगर एशिया आर सूरप के मध्य का एक व्यापारी स्थान हो सकेगा । यह वात विशेष कहने के योग्य है फि केघल सिंकल्द्रही दम नगर मँ वसाने के लिये पेलस्टाइन से यहूदियों को नहीं लाया था; जार केवल टालेमी रक्षक ही जरुमलिम के घेरे के बाद एक लाख अधिक यहूदी नहीं खाया था, वरन्‌ उमके उत्तराधिकारी फिलैडेल्फस ने मिश्न नियासी मालिकों का घदले में उचित रुपया देकर एक लाख भदठूठागवे हज़ार यहूदियं के गुलामी से छा्राकर घहां बसाया था। इन यहूदियें को चेही भधिकार प्राप्त थे ना मकदूनिया निवात्तियां का थे । दस भादर युक्त चर्ताव के प्रभाव से उनके यहुतसे देश निवासी और बहुत भाषा बोलने से सी रिया प्रदेश वासी सत्रयं मिश्र देश में आए । इन लोगें हष श्यूनानी वाजे यहूदिये” का उपनाम दिया गया । इसी भांति रत्तफ' की दृयालु गवनमेंट से लालच पाकर बहुत से यूनान निवासी की उस देश में आ यत्ते, भीर 'परडीफास' और “मैंटीगेनस' के आाक्षमणों ने दिखा दिया कि यूनानी सिपाही अन्य सकदूनी जनरल की सेवा छोट्कर उसकी सेना में नौकरी करने की इच्छा करते थे । शस कारण सिकन्दरिया नगर सें तीन प्रथक प्रथक जाति के लोग निवास करते ये । (९) स्वदेशी मिश्र निवासी, (२) यूनानी जर (३) यहूदी । यह ऐसी बात है जिसका बहुत कुछ प्रभाव अब भी युरुप के वर्तेसान घामिंक विश्वास सें पाया जाता है ॥ युभानी फारीगरों कार यूनानी इंजिनियरों ने सिकन्द्रिया नगर का प्राचीन जगत में अधिक सुन्दर नगर बना दिया था । उन्हें ने उसके बड़े बड़े सहला, देवालयां, भार नाट्यशालाओं से भर




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