सूनी घाटी का गीत | Sooni Ghati Ka Geet
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जाड़े की भोर का शुक्र
जाड कौ सदे, ठिटुरी भोर का शुक,
राख की लहराती सी चादरों पर,
रिमटिमाता नन्हा सा अंगार...
वर्फ़ीली कंद्रात्रां मं,
हिमप्रिया के साथ, बिता रात, उठा;
चला, गुल्लार्बी नयन मींजता,
मद्धम-मद्धम पवन...
देखा, गत रात्रि कंद्रात्रों वाला टिमाटिमाता सा
वह चिराग...
फिर चकस्मात् मुस्कुरा,
कि श्रे यहं कैमे-
फक मार करः बुश्ा दिया |
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