शस्त्र- विदाई | Shastra Vidai

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Shastra Vidai by अर्नेस्ट हेमिंग्वे - Earnest Hemingwayपुरुषोत्तम दुबे - Purushottar Dubey

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अर्नेस्ट हेमिंग्वे - Earnest Hemingway

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पुरुषोत्तम दुबे - Purushottar Dubey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निकट भा खडा हुआ और बाहर देखने लगा। मैने देखा कि ककडो से भरी पग- डडियों भीग गई थी और घास आस से तर हो गई थी। तोपे दो बार सर दागी गई। उनके छूटने के साथ ही बायु का एक तीव्र मोका आता ओर खिडकी को जैसे भकमोरते हुए मेरे पायजासे के सामनेवाले भाग को फडफड़ा देता। तोपे यद्यपि दिखाई नहीं दे रही थी, फिर भी इतना स्पष्ट था कि वे इसी दिशा मे दागी जा रही थी। उनका वर्ह रहना कुर कम कषटप्रद्‌ नहीं था} फिर भी यह सतोप की बात थी कि तोपे बहुत बड़ी नहीं थी। ज्यो ही मेने बगीचे की यर दृष्टि दौड़ाई, त्यो दी सड़क पर एक टक चालू होने की आवाज मुझे सुनाई दी। सै कपड़े पहनकर, नीचे पहुँचा आर रसोईघर मे थोड़ी सी काफी पीने के बाद्‌ गेरेज की मर चल पडा । लम्बे ओसारे मे बिलकुल पास-पास एक कतार में दस मोरे खडी थीं वें एम्बुलसे थी, जिनका ऊपरी हिस्सा वजनी आर आगे का भाग चपा था। उनकी बनावट चूलती-फिरती रेलगाडी के माल रखने के डिब्बे के समान थी और उन्हे भूरे रग से रग दिया गया था । बाहर के जोगन मे कुछ कारीगर एक मोटर की मरम्मत कर रहे थे । तीन अन्य मोटरे ऊपर पहाड़ों में मरदम-पड़ी के चेन्द्रो मे थी) = ^ क्या उस तोपखाने पर भी कभी बमबारी होती है १”? मेने एक कारीगर से पूछा | “तूहीं, लेफ्टिनेंट साहब ! उस छोटी पहाड़ी के कारण वह बिलकुल सुरक्षित हे । “ और कया हाल है १? कुछ खास बुरा तो नहीं। यह गाड़ी बिलकुल बेकार है। हा, दूसरी गादियां ठीक 'चलती हैं ।*” उसने काम बन्द कर दिया और मुस्कराया “आप छुट्टी पर थे क्या?” ८८ > हा 1 ११ भ उसने कुरते से अपने हाथ पोछे और देत निकालते हए ॒त्सा- “आप तो मजे मे रहे न?” वहीं उपस्थित शेप व्यक्तियों ने भी देत निकाल दिये! “ बिलकुल मजे में। ” मे बोला इस मोटर मे क्या खरावी है? ”” * बिलकुल बेकार है। एक के बाद-एक कुछ न छुछ खराबी होती दी रहती है इसमे 1 > “समी क्या खरावी है? न्मे 4) 2




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