विनोबा के पत्र | Vinoba Ke Patra
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
342
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१. जसनालाल बजाज के नाम
१ :
सत्याग्रहाश्म,
वर्धा, १६-६-२८
श्री जमनालालजी,
सावरमती-बाश्रम मं ब्रह्मचयं के सवध म जो नियम बने है, उस विषय
मे यहा भी सहज भाव से चर्चा होती रहती ह । यहा भी वही नियम रहे,
ऐसा सहज ही लगता हैं तथा सस्था के व व्यक्ति के तेज की रक्षा भी उसी-
में है, यह स्पष्ट है । नियम बनाने से कुछ लोग चले जायगे, यह भी दिखाई देता
है । तथापि नियमों का पालन करने में ही कल्याण होनेवाला हे, इसलिए
नियम होना ही चाहिए, ऐसा लगता हूं । आपका भी विचार जानने की
इच्छा ह 1 आपकी राय जानने में आपकी स्थिति ज़रा कठिन हो जाती है ।
पर विद्यालय की दृष्टि से आपके विचार जानना आवद्यक भी है ।
आपका स्वास्थ्य अब कैसा है * यहा कव आनें का इरादा ह ?
विनोवा के प्रणाम
वर्धा, ७-८-३२
श्री जमनालाख्जी,
वहा से यहा माया तवसे मापका भमेडेट' तोडने का परसग नही आया ।
मेरी तवीयत वहा जैसी ही ठीक हं । काम सदा की भाति चल रहा द ।
भिन्न-भिन्न आधमों की कल्पना साथियों को पसद आई हैं पर अमल
मे खाने मे काफी अड़चने माने की आका ह । फिकहार तो नीचे लिखे
अनुसार योजना कर रहा हू ।
१ पुलगाव--मनोहरजी
२. देवली--मोघेंजी (केशवराव )
User Reviews
No Reviews | Add Yours...