योरप की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ | Yorap Ki Sarvashreshtha Kahaniyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
155
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मटका १३
चकरा रहा है! शान्ति! यह एक श्रनोखी बात है! मेरी अटनी
तैयार करो ! उसने मटके को श्रपनी उंगलियों की हड्डी से ठोंका ।
सच ही, वद्द लोहे की चादर की तरदद बोलने लगा था ।
“खूब! यह तो एकदम नया हो गया......तुम ज़रा सब्र करो !”
उसने क्रैदी से कुककर कहा ।. इसके बाद अपने नौकर को फ़ौरन जाकर
ऊंटनी तैयार करने की श्रज्ञादी। लोलो दोनों हाथ से श्रपना माथा
दबाता हुआ्रा कहने लगा--मेरी समभ में नहीं श्रा रहा है कि मैं क्या करूँ ।
यह बुड्ठा पूरा शैतान है । शान्ति ! शान्ति |! वह मटके को संभालने
के लिए उसकी श्रोर दोड़ता हृश्रा चिल्लाया । डिम चाचा का क्रोध अरब
शिखर पर था श्रौर वे जाल में फं से हुए किसी हिंसक पशु की भाँति उसमें
से निकलने का यत्न कर रहे थे ।
'पमाई मेरे, ज्ररा शान्ति रक्खो । यह बिलकुल श्रनोखी बात है ।
इसे मेरे वकील ही तय कर सकते हैं, मुभे च्रपनी समभ पर
भरोसा नहीं हो रहा है। अयनी तैयार हो गई प्रौरन उसे यहा
ले श्राश्रो। मे वकीलके पास से होकर चुटकी बजाते लौटता हूँ ।
तब तक तुम प्रतीक्षा करो । इसमें तुम्हारा दी लाभ है । ज़रा शान्ति
रक्खो, शान्ति ! मे श्रपने अधिकारों को त्याग नहीं सकता । श्रौर
देखो, मै श्रपने कतव्य का पालन पहले कयि देता द्र। यहलो, मै
तुम्हें दिन भर की मज़दूरी दिये देता हूँ । ये रहे तुम्हारे ढाई रुपये!
ठीक है न ?”
(मुभे कुड नहीं चाहिए ।” डिम चाचा ने चिल्लाकर कहा--' मैं
वाहर निकलना चाहता हूँ ।”'
“सब्र करो, तुम बाहर निकाल लिये जाश्रोगे! परन्तु मैं अपना
कतंव्य पूरा किये देता हूँ । ये लो अपने ढाई रुपये ।”?
लोलो ने अपनी जेब में से रुपये निकालकर मटके में फेंक दिये,
फिर सहानुभूति के स्वर में पूछा-- तुमने जलपान किया है या नहीं
दो रोटियाँ श्रौर श्रौर सामान ले श्राश्रो ! फ़ोरन! क्या तुम जलपान
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