प्रेमबानी भाग - 2 | Premabani Bhag - 2

Premabani Bhag - 2  by परम गुरु हुजूर महाराज - Param Guru Hujur Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| 2 पर | सुची शब्द सुरत आइ उमेंगत गुरु के पास सुस्त गत निरमल बुंद सरूप सुरत गुरु चरनन आन घरी सुस्त दद्‌ कर गुर्‌ सरन गही सुरत पियारी उमगत आई सुगत प्यारी गुर्‌ मिन श्रा जाग सुरत प्यारी चित घर अगम बिबेक सुरत प्यारी जग में क्यों च्रटकी सुरत प्थारी भेको घट मं श्राय सुरत ध्थारी भलत श्राज हिडाोल सुरत प्यारी मन संग क्यं भरमाय सुरत प्यारी मन से यारी तोड़ सुरत मेरी गुर चरनन अटकी सुरत मरी गुरु संग हई निहाल सुरत मेरी प्यारे के चरनन पड़ी सुरत र॑गीली सतगुर प्यारी सुरत हुई मगन दरस गुरुपाय सुरतिया अटक रही सुरतिया अधर चढ़ी गुर ददं प्रेम सुरतिया श्रधर चदी धर सतगुरु रूप सुरतिया अभय हुई सुरतिया अमन हुई सुरतिया अमर हुई सुरतिया शरान पड़ी सुरतिग्रा शरोर गही सुरति या उमंग भरी आज लाई सुरतिया उमग भरी मिली गुर सुरतिया उमंग भरी रही गुर सुरतिया कहत सुनाय सुनाय सुरतिया केल करत सुरतिया खड़ी रहे सुरतिया खिलत रही सुरतिया घूम गड सुरतिया खेल्ल रही गुर चरनन पास सुरतिया खेल स्री गुर षागन बीच सुरतिया गगन चद सुरतिया गाज रही सुरतिया गाय रदी गुरु महिमा सार कद पन्न




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