मेरा जीवन संग्राम | Mera Jeevan Sangram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
390
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)-मेरा जीवन-संम्रास-- १३
रूपमे परिवत्तिंत होनेके लिये वाध्य किया उसी समयसे मेरा उदेश्य
मपनी जमंन-अस्ट्रिन मातृसूमिकी सेवा करते हुए अस्ट्रिन-राज-
बंशका विनाश करना हो गया है ।
हमारे परिवारकी आर्थिक दशा अत्यन्त खराब थी । दुर्भाग्यसे
खाने कमानेकी समस्या कुप्तमयमें आ पड़ी । मुझे स्वप्नमें सी आशा
नहीं थी कि मेरे सिरपर यह बला इतनी कम उम्रमें मा पढ़ेगी ।
ठोक ऐसे ही समय मेरी माता रोगग्रस्त हो गई' । पिता पहले दी
मर चुके थे । अनाथ होनेक्े कारण सुके जितनी पेल्सन मिलती थी
वद्द एक परिवारके भरण-पोपणके छिये यधेष्ट ल थी । ऐसी अवस्था
ममे किकर्सव्य विमूट हो गया।. परिस्थितियोंने मुझे अपनी
जीविका उपाजन करनेका मादेश दिया ।
अन्तमें माशाओंसि प्रेरित हो कपड़ों मौर कटपीसकी एक पेटी
रे वियेनाके लिये रवाना हुआ। अपने पिताकी तरह सुभे भो
इसी न्यापारमें अपना भाग्य आजमानेका मौका मिठा । सें कुछ
बनना चाहता था। सेरी इच्छा दुनियांमें झुछ कर दिखानेकी थी ।
परन्तु किसी भी हाठतमें नौकरी करनेकी नहीं ।
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