मेरा जीवन संग्राम | Mera Jeevan Sangram

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Mera Jeevan Sangram  by एडल्फ हिटलर - Adolf Hitler

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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-मेरा जीवन-संम्रास-- १३ रूपमे परिवत्तिंत होनेके लिये वाध्य किया उसी समयसे मेरा उदेश्य मपनी जमंन-अस्ट्रिन मातृसूमिकी सेवा करते हुए अस्ट्रिन-राज- बंशका विनाश करना हो गया है । हमारे परिवारकी आर्थिक दशा अत्यन्त खराब थी । दुर्भाग्यसे खाने कमानेकी समस्या कुप्तमयमें आ पड़ी । मुझे स्वप्नमें सी आशा नहीं थी कि मेरे सिरपर यह बला इतनी कम उम्रमें मा पढ़ेगी । ठोक ऐसे ही समय मेरी माता रोगग्रस्त हो गई' । पिता पहले दी मर चुके थे । अनाथ होनेक्े कारण सुके जितनी पेल्सन मिलती थी वद्द एक परिवारके भरण-पोपणके छिये यधेष्ट ल थी । ऐसी अवस्था ममे किकर्सव्य विमूट हो गया।. परिस्थितियोंने मुझे अपनी जीविका उपाजन करनेका मादेश दिया । अन्तमें माशाओंसि प्रेरित हो कपड़ों मौर कटपीसकी एक पेटी रे वियेनाके लिये रवाना हुआ। अपने पिताकी तरह सुभे भो इसी न्यापारमें अपना भाग्य आजमानेका मौका मिठा । सें कुछ बनना चाहता था। सेरी इच्छा दुनियांमें झुछ कर दिखानेकी थी । परन्तु किसी भी हाठतमें नौकरी करनेकी नहीं ।




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