नया हिन्दी साहित्य एक भूमिका | Naya Hindi Sahity Ek Bhumika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about प्रकाश चन्द्र गुप्त - Prakash Chandra Gupt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३ हिन्दी साहित्य की प्रगति
समान भारतीय राग की आत्मा खुलती है, और '्वनियों के दुद्दराने में
घरटों के संयम की आवश्यकता है । मध्य युग के उन मनोहर नक्शों को
हमारे संगीतकार आज भी दुद्रा रहे हैं, ओर भारतीय संगीत एक ब्रहुत
टी संकुचित वगं की पूँजी बन गया है जिसका उपभोग पूरा शासक वर्ग
भी नहीं कर सकता । समाज की रूप-रेखा में क्रान्तिकारी परिवर्तन हो
चुके हैं; अब न वह समाल है, न वह अवकाश कीर्तन, कव्वाली अथवा
जओल्दा के समान बोधयम्य संगीत हमे मविष्य मे विकसित करना दोगा,
यद्यपि उसकी प्रेरणा पुजारी अथवा सामरिक जीवन से न होकर सवसाधघारण
के जीवन से होगी । इस संगीत में क्लासिकल परम्परा के सवशरे्ठ तत्त्व भी
हम शामिल कर लेंगे ।
मध्य युग के शासित-वर्गों में भी सदियों के उत्पीड़न से कविता का
जन्म हुआ, जो भौतिक जीवन को भुलाकर अदृश्य में लीन होने की
कामना लेकर आई । निम्न शासित वर्गो की मोतिक जीवन के प्रति यद्
स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी । इस जीवन में आशा के कोई चिह्न देख
ब्रह्मरन्ध्र मे उन्दने अपने प्राण खींच लिये और कहने लगे, यद जग सव
माया का खेल हैः--
साधो एक रूप सब मोही
श्रपने मन विचारि के देखो श्रर दूसरा नाहीं । ( कबीर )
अथवा
जो नर दुख मे हैख नदिं माने ।
सुख सनेह शरीर मय नहिं जाके, कंचन माटी जाने ।.... (नानक)
दस प्रकार उनके पीडित हदय को अध्यात्म का “मघु-मरहमः
मिला । किन्तु यह कवि विद्रोही कवि मी ये ओर उन्द प्रचलित समाज-
व्यवस्था किसी प्रकार मी स्वीकार न थी।
क्रमशः सामनी समाज का हास हुआ ओर उसका स्थान एक नवीन
उत्पादन-पद्धति ने श्रहण किया । पुराने शासक भूल मे मिल गये ओर
User Reviews
No Reviews | Add Yours...