अतीति स्मृति | Aatiti Smarti

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Aatiti  Smarti by विनयावनत-Vinayaavanat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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र ९. टिन्द्‌ शब्द की व्युत्पत्ति शब्दकी उत्पत्ति श्रौर अथं एक नए ही ढंग से किया है आप ने इस {वषय पर तीन चार वर्ष हुए चँगला भाषा में एक लेखमालिका निकाली थी । उसके उत्तर श्र श का मतलब हम यहां पर संक्षेप में देते हैं ।-- फारसी मे दिन्द्र शञद्‌ यद्यपि रूढ हो गया है तथापि बह उस भाषा का नहीं है। लोगों का ख्याल कि फारसी का टिन्दू शब्द्‌ संस्कृत सिन्घु शब्द का झपन्रंश है । वदद लोगों का केवल भ्रम है । ऐसे अनेक शब्द हैं जो भिन भिन्न भाषाओं में एक दी रूप में पाये जाते हैं । यहां तक कि उनका अथ भी कहीं कहीं एक ही है। पर वें सब मिन्न मिन्न घातुओं से निकलते हैं । उदाहरण के लिए शिव शब्द को लीजिये । संस्कृत में उसकी साधानिक तीन धातुश्रों से हो सकती है । पर अथं सवक्रा एकदी है अधौत कल्या- ण या मद्धल का वाच है । यदी परिव यब्द्‌ यहूदी भाषामें सी है। वह अं गरेजी अक्षरों में “8९6२४” लिखा जाता है । पर उच्चारण उसका शिव होता है । वह यहूदी भापा में 'शुः धातु से निकलता है उसका अर्थ है “लाल रंग” ।' शिव” नाम का यहूदियों में एक वोर भी हो गया है । अब, देखिए क्या संस्कृत का रिवः यहूदियों के 'शिव' से भिन्न नदीं १ लोग सममते है संत्कत का “सप्ताह” शब्द और फारसी का 'हक्ता” शब्द एकार्थवाची दोने के कारण एक दी धातु से निकले हैँ । यद्‌ उनका भम है । दक्षा एक ऐसी धातु से निकला है जो संसृत -सप्ताद शब्द से कोई सम्बन्ध नहीं रखता । फारसी सें से सि) स (खाद्‌) स (सीन) श (शीन)




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