समाचार और संवाददाता | Samachar Aur Samvaddata

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Samachar Aur Samvaddata by डॉ॰ निशांत सिंह - Dr. Nishant Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समाचारों के प्रकार समाचारों को प्रमुख रूप से निम्नलिखित दो वर्गों में बांटा जाता है-- (1) विशिष्ट समाचार-विशिष्ट समाचार वे हैं जिनके बारे में पहले से किसी को कुछ पता नहीं होता । लेकिन इन समाचारों के घटित होने पर उनका विशेष प्रभाव. और महत्व हो जाता है। ये समाचार अद्यतन होते हैं। विशिष्ट समाचार अपने गुणों के कारण सुमाचार-पत्र के मुख पृष्ठ पर स्थान पाने योग्य होते हैं। (2). व्यापी समाचार-ये वे समाचार होते हैं जिनका महत्व और प्रभाव अत्यंत व्यापक होता है। ये समाचार पूर्ण पृष्ठ पर फैले रहते हैं। इन समाचारों का शीर्षक अत्यंत आकर्षक और विशेष रूप से सुशोभित होता है। त्र विशेष के आधार पर समाचार दो प्रकार के हयो सकते हैं-देशी समाचार ओर विदेशी समाचार । (1) देशी समाचार-स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय पत्रकारिता विशेषकर हिन्दी पत्रकारिता स्वतंत्रता-आंदोलन उन्मुख थी। उस समय के अधिकतर समाचार-पत्रों का धर्म - अंग्रेजी शासन और साम्राज्यवाद से संघर्ष करना था अतः पक्ष और विपक्ष के समाचारों की भरमार हमारे समाचार-पत्रों में रहती थी। वही परंपरागत विरासत आज तक चली आ रही है और उसी विरासत में मिली परंपरा का निर्वहन भारतीय समाचार-पत्र आज तक करते आ रहे हैं। आज भी अधिकतर भारतीय समाचार-पत्रों मे राजनीतिक समाचारो का ही बाहुल्य रहता है। इस संदर्भ में एवर ड्रिबर्ग का कहना है कि देश के विकांस और परिवर्तन की मूल समस्याओं के प्रति भारतीय प्रस का दृष्टिकोण अपरिपक्व है ओर भारतीय प्रेस को बस एक ही रोग है-राजनीति ओर राजनीति भी सत्तालोलुप । वास्तव में देशी समाचारों से तात्पर्य उन समाचारों से है ज़ो अपने देश के संबंध में हों। इसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक सभी प्रकार के समाचार आते हैं लेकिन दुर्भाग्य से भारतीय प्रेस राजनीति की खबरों को ही सदैव. वरीयता देती है। राजनीति में भी सिर्फ कुर्सी की राजनीति को ही प्रेस उषछठालती है, उस पर वाद-विवाद करती ह । पत्रकार, आर्थिक विकास ओर सामाजिक ` परिवर्तन से संबंधित राजनीति को लगभग भुला बैठे हैं। कल-कारखानों में काम करने वाले मजदूरों, खेत में दिन भर हलं जोतते छोटे किसानों, शिल्पकारों ओर छोटे . व्यापारियों से संबंधित मुद्दों को प्रेस में बहुत कम जगह मिल पाती है। दरअसल भारतीय प्रेस सर्जनात्मक. साधनों की तलाश का कोई प्रयत्न ही नहीं कर रही है। हिंदी पाठकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस नाते हिंदी पत्रकारिता का पाठकों के प्रति कर्तव्य भी कुष्ठ बढ़ा है। पत्रकारों को समाचारों में ऐसे मुद्दों को प्रमुखता देनी चाहिये जिनका सीधा संबंध आम आदमी से होता है। (2) - विदेशी समाचार-विदेशी समाचारों का तात्पर्य उन समाचारों से है जिनकी . ` 18 : समाचार ओर संवाददाता




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