एक और वापसी | Ek Aur Vapasi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
93
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घरमे खाना हैया कही बाहर ? दाहर चलना है तो झटपट
तैयार हो लो । अपने पास बहुत वक्त है।
--नही, सब घर में हो छाएँगे। कितने दिन हो गए हैं इकट्ठा
खाना खाए!
शाम कौ नरन उदास मन से लोट आया । जैसे किसी पिंजरे मे कैद
होने के लिए आया हो । नीता बच्चों को साथ लेकर कही गई थी । उसे
थोडी-सी राहत मिली ।
नौकर ते वताया--“मेम साहव गाडी लेकर गई है 1 कदत घी देर
से लौटेंगी ।”
वहू तमिक आश्वस्त होकर बिस्तर पर पसर गया उसने काफी मंगाई
ओर नौकर को रात का खाना बनाने के लिए कह दिया । यह् भय फटी
जाना नहीं चाहता था । जो सुखद क्षणों की अनुभूतियाँ उराके रथ थीं,
उन्हें सेजोकर रखना चाहता था।
नीता से शादी के बाद दो सात में हो दो बच्चे हो गए थे । यहू भहपी
इस काम से मुक्त होना चाहती थी । मुफ्त समाज मे जाने के पिए ष पूरौ
तरह मुक्त हो गई थी । पर नरेन उस समाज में जाने से कतराता था ।
उसके सस्कार नीता के साथ चिपके हुए थे । नीता फा रात देर तक यसम
में बैठकर पेग पर पेग चढाना और फिर बहुकना उसे अच्छा नही लगता
था। पर उससे कुछ कहने की हिम्मत भी नहीं थी उसकी | नशे मे धुत्त
चहू आधी-आधी रात को लौटती ।
एक बार नीता से उसने कहा तो वह बिफर उठी थी-- तुम अगर
गवार ही बने रहना चाहते हो तो बने रहो, पर मुझे तुम रोक नहीं सकते |
मैं तुम्हारी खरीदी बाँदी नहीं हूं ।”
इसके बाद से उसने कुछ भी कहना छोड़ दिया था। पहले बहू काफी -
हाउस की रौनक होता था--अपने को भुलाते के लिए, विन्तु सधे हे
काफी-हाउस जाना भी छूट चुका था 1 जव तो वह् परषदटे परिम्दे ष) ११४
एक ही निश्चित दायरे से ज्यादा उड़ नहीं सकता,यावल् गा ”
रात खाना खाकर वह लेट गया! नीता मोदसे दिनि. भन
आए। तभी अचानक उसके सीने में दर्द उठा । ८ यह १४ 1 ११२११
* अपना गे *
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