माइक्रो अर्थशास्त्र | Micro Economics
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27 MB
कुल पष्ठ :
1040
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)16 अथक समस्या, अर्थशास्त्र तथा परिभाषा
अध्ययन किया जाता है जो सीमित साधनों ते श्रभावित होता है, सीमित साधनों में, रोबिन्स ने,
धन के अतिरिक्त समय फो भी शामिल किया 1
(2) अपंशास्त्र, माशंल के अनुसार, सामाजिक विज्ञान है किन्तु रोबिन्स के अनुसार मानव
चिज्ञान । मार्शल के अनुसार अधंशास्त्र के अस्तगंत कैदल उन मनुष्यों की आर्थिक क्रियाओं को
अध्ययन होता हैं जो कि समाज में रहते हों । परन्तु रोबिन्स के अनुसार समाज के अन्दर तथा
बाहर रहने वाले सभी व्यक्तियों की क्ियाओं के चुनाव करने के पहलू का अध्ययन अर्थशास्त्र में
किया जाता है । सोविन्स अथंशास्व को सामाजिक विज्ञान के स्यान पर भानव विज्ञान फते है ।
(3) मार्शल के अनुसार अर्वंशात्त्र का आदर्शात्मकं पहु (7०7५९ वशष्न) भी है
और बह कला भी है, किंम्तु रोबिन्स के अनुसार चह केवल वास्तविक विज्ञान है।
निष्कर्ष: रोबिर्स की परिभाषा श्रेष्ठ है या माशंत को ?
वास्तव में दोनों मे से कोई भी परिभाषा पूर्ण नही है, दोतों के कुछ गुण और दोष हैं।
(1) यद्यपि माशंत्र की परिभाषा सरल है परन्तु वह ताकि टष्टि से (10816410) दोषपूर्ण है और
अर्थशास्त्र के वैज्ञानिक आधार को कमजोर करती है। (0) रोबिन्स की परिभाषा ताक
(1०४००) है भौर अथशा के वैज्ञानिक आधार को मजदूत करती है। रोबिन्स कौ परिभाषा,
माशंल की. परिभाषा की सुलना मे, इस हृष्टि से श्रेष्ठ है कि रोविन्स ने स्पष्ट रूप से “आर्थिक
समस्या _ (९८०7०१० एणा) अर्थात् “चुनाव करने के पहलू' को प्रस्तुत किया; भषुनिक
अर्थशास्ती इसको मान्यता देते हैं । न
अर्थशास्त्र कौ आधुनिक परिभाषा (4०९ फदपो०प जा छट०००पंटडो
विकास-केन्द्रित परिभाषा
(नार0११पप्त-घधधाए० एशासापरापणय)
1. पआककथन (00707ए06070)
किसी भी शास्त'की परिभाषा उसकी विषय-सामग्री पर मि्भर करती है। इसी प्रकार
अथंशास्त्र में विकास के साथ उसकी परिभाषा में परिव्त॑त होता रहा है ताकि परिभाषा नये
विकास को थेर सके अर्थात् उसे शामिल कर सके । एडम स्िय की परिभाषा धन-केद्धित (*,९९1)\-
श्ट तलप ००) थी ; भयंगास्त्र में विकास हुआ और मार्शल ने 'कल्याण-केन्द्ित परिभाषा
(पटाक्िइनट्टा। कट वर्ना) दी; अर्थशास्त्र कौ विषय-सामग्री मे भौर अधिक विकास हुआ
भौर रोबिन्स ने सौमितेता-केन्दरिते परिभाषा, (5००1०४० ।7्प् वशीपध०ण) दी । रोविन्स की
परिभाषा (सनु 1932) के पश्चात् से भंशास्त्र कौ विषय-तामग्री मेँ वहुत धिकं विकासि हो
चुका है । अब आधुनिक श्रथंशास्त्री रोजगार, आय तथा आधिक विकास (लपकृागकला।, 17८०६
त 6८००८ 21094} की प॒मस्याजो पर अधिक बल देते हैं ; इन बातों को रीबिग्स की
परिभाषा शामिल नही करती है, इसलिए रोबिन्स कौ परिभाषा पर्याप्त (10376प08/6) हो गयी
भर भव एक ऐसी परिभाषा की आवश्यकता है जो आधिक विकास पर बल दे और ऐसी परिभाषा
को विकास-केद्रित परिभाषा (हा०%0-८९०016४ तर) कहा जा सकता है)
2. पृष्ठम : रोविन्त कौ परिभाषा का स्वंतिक स्वभाव (एषनुः्ा०पणव ; 5110 दथणलरण
0005 लिपठण)
सोविन्ध के अनुसार आधिक समस्या “इुनाव कौ समस्या है ; अर्थाद् सीमित साधनो के
वितरण (110681० 0 5०४०९ 1९50०९७) की है । दूसरे शब्दो मे, सोदिन्स के भनुसार आधिक
समस्या है दिये हृए साध्यो (ण्या 6145} का दिये हए साधनों (श्ट 70805) के साथ समा-
सौजन (1५७५८) करना । इसमे कोई सन्देह नहीं है कि यदि सीमितता न हो तो कोई
आर्थिक समस्या उत्पन्न नहीं होगी । परन्तु सीमितता होने पर मुख्य आर्थिक समस्या साध्यों के साथ
दिये हुए साधनों का समायोजन ही नही बल्कि साधनों में वृद्धि या वप्नन (४7०७1॥) करना है ताकि
परिवर्वनशील और वदृते हुए साध्यों या आवश्यकताओं की पूति की जा सके । अतः
आयक समस्या, किसी समय दिशेष पर, केवल “सौमित साधनों के वितरण' की
ही नहीं बल्कि साधनों के विकास तथा वर्धन' की है ताकि बढ़ती और बदलतों
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