प्यार के भूखे | Pyar Ke Bhookhe
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साबुन ११
उस के पास । सुखदेव को विज्ञायत भेजने को तैयार है } एक मकान दद्ेज
में देने को कह रहा है ।'
श्यामा फिर मी चुप रही ।
व्रजलाल ने खाना समा करके पानी पिया श्र उठ गये । घड़ी की
ब्ओर देखते गये और कपड़े पहिनते गये । फ़ाइल माली श्र शीशे में
अपना मुँह देखा । बाहर को बढ़े कि श्वामा ने रास्ता रोक कर कहा--
ध्येरे लिए; एक स्वेटर ला दो |”
स्वेटर [पति ने भिडकी देकर कदा-- स्या कह रदी दा मुझे
त्ाफ़िस को देरी हो रही है और तुम स्वेटर की फ़रमाइश कर रही हो !
सुखदेव से कहना |”
श्यामा ने सिर झुका कर कहा--'तो सुके कुछ रुपये दो आज |
मैं मैँगवा लूंगी किसी से |
किसी से क्यों ?”--ब्रजलाल ने जह्दी से एक दस रुपये का नोट
नकाल कर कहा--'सुखदेव ले श्रायेगा । लो, थामों । है कहाँ सुखदेव ?”
पर सुखदेव का पता न था | घंटे पर घंडा बीतता गया | सुखदेव
जाने कहाँ जाकर बैठ गया था} खाना ठंडा होने लगा । श्यामा बार-बार
दरवाज़ें तक आ कर दूर तक नज़र दौड़ाने लगी | दोनों लड़के एक-दूसरे
का हाथ पकड़ कर, चायवाले की दूकान पर जाकर चाचाजी को खोज
आये और उदास होकर थूखे-प्यासे लेट रहे चाचाजी के पलंग पर |
दुर गल्ली के छीर पर एक सद्खी लङका रहता था } श्यामा ने घवरा
कर बड़े सुन्ना से कहा--“जा तो, विद्यायूघण के यहाँ चला जा मैया !
कहियों कि हमारे चावाजी अभी तक घर नहीं लोटे । तुम को मिले थे १
कहाँ गये हैं वाचाजी ? कहिंयो कि हमारी माँ बहुत घबरा रही हैं ।*
तमी खट्:से किसी के जूतों की श्रावाज़ हुई । श्यामा ने चौंक कर
देखा तो सुखदेव सिर झुक्ताये फ़ीते खोल रहा था |]
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