तारन - त्रिवेणी | Taran-triveni
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
127
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सद्रपःण
तारणस्व।मो ष जिनवाणी के अनन्य भक्त
धमेर्न,
स्वर्गीय श्रीमान् प० लालदास जी
के दूर पहुँचे हुए
कर-फमललो मे
ती
तारणततरण श्राचायंजी के
आप भक्त महान् थे |
प्रति पल्ल श्रधर से श्ापके
उने निकलते गन थे |
उनके प्रसूनों पर न फिर
क्यों श्चापक्रा श्रधिक्रर हो ए
' तारन-त्रिवेणीं * आपकी है,
आपको. स्वीकार दो |
--चचर--
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