तारन - त्रिवेणी | Taran-triveni

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Taran-triveni by मद्तारणतरण स्वामी जी महाराज - Madtarantaran Swami Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सद्रपःण तारणस्व।मो ष जिनवाणी के अनन्य भक्त धमेर्न, स्वर्गीय श्रीमान्‌ प० लालदास जी के दूर पहुँचे हुए कर-फमललो मे ती तारणततरण श्राचायंजी के आप भक्त महान्‌ थे | प्रति पल्ल श्रधर से श्ापके उने निकलते गन थे | उनके प्रसूनों पर न फिर क्यों श्चापक्रा श्रधिक्रर हो ए ' तारन-त्रिवेणीं * आपकी है, आपको. स्वीकार दो | --चचर--




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