कृष्ण - काव्य में सौन्दर्य - बोध एवं रसानुमूर्ति | Krishn - Kavya Men Saundarya - Bodh Avm Rasanubhuti
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
115 MB
कुल पष्ठ :
416
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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घा कै जाभूणण -शिरीमूणण--सांम को मौतीञश्ीरफूट+
गए ईदी चद्धिका,गेना+ नासिका कै णण
नासासुक्ता त्वेस ,नथ,लवंग; कान के आमुषण-
ताटंक, कुंद्ल ,चुिला ,छुमी , तस्थोना ,कर्णफ़ूल,
फकुमका;कठ जार हृदय-प्रदेश के आमुषण--
कठश्री ,हार ,पाठासं,चाँकी आदि; हाथ के
आभू ग -- वलय, कंकणा १ना ङुबंद +ड , पहुँची ,
नवगरष्ठी सुद्ध +कर-पान आदि; कटिके
आआमृशण किंकिणि $काची पद कै जामूणण-
पैजनी ,पाय्छ, चैट अनूपुर + जिया ,पदपान्।
(ल) प्राकृतिक सोदर्य वृन्दावन --( १) पुलिन , नि कुन
(२) कृतु-साँदर्य :बसत
बं
शद
(ग) कला त्मक सौंदर्य : नगर
गुहसज्जा
पव
दितीय खण्ड : रसामुमुत्ति
-ग-ष्ठ परिन्देद : -स के उपकण [९-२५५-८5 |
जनाना 8
।फ रख्श्प : वाया कृष्ण
(२) सिक : कृष्ण या राधा
(3, रा रख |
(४) लीछारस के उपकरण : घाम, परिकर, मनवचत्व
(५) लीलाएड ~~ व्रलरस+नित्यकिहा१-ःस् ¦
(€) लीला
सच्सम पा न्व टीला सख्यौ मत [2. 3>--339|
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