मात्रिक छंदों का विकास | Mantrik Chhandon Ka Vikas

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Mantrik Chhandon Ka Vikas by शिवनन्दन प्रसाद - Shivnandan Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची जानी बिहारीलाल-कृत दछंदप्रभाकरपिगल बिहारी-कत छंदभ्रकाड आचायं चतुरदास-कृत चतुरचंद्रिकापिंगखं जगप्ताथप्रसोद भानू-कृत छंद:प्रभाकर ५ „+ छदसारावली + „+ काव्यप्रभाकर अवध उपाध्याय-कृत नवीनपिंगल रघुनंदन शास्त्री-ऊुत हिन्दीछंदप्रकाश परमानंद-कृत' श्रीपिंगलपीयूष अन्य ग्रंथ शेष हस्तलिखित प्रतियों का विवरण प्रकरण ३-संस्कृत-हिन्वी-छदोलक्षण-प्र॑थो की परपरा : वर्गीकरण ओर मूल्यांकन छंदःतास््ीय विकास के सोलस्तंभ वेदिक अक्षरवृत्त या स्वरवृत्त प्रकरण ३-वर्णवृत्त की उद्भावना और उसका विकास वर्णेवृत्त का जन्सं वर्णवृत्तों में गणप्रयोग वणवृत्तौ मं यति का प्रयोग सम, विषम गौर अद्धसमवृत्त व्णवृत्तों के नामकरण का आधार प्रकरण '४-संस्कृत और प्राकृत की छंद:परंपराएं अक्षर और वणेवृत्त ताकवृत्त प्रकरण ५-मात्रावृत्त माघ्रावृत्त की उत्पत्ति ताखवत्त भौर उसका प्रभाव अपश्नंश में तालवुत्त का प्रयोग ( ड ) ९५ ९७ ९८ ९८ १०५० १५० १०१ १०१ १०२ १०२ १०३ १०७ ११८ अध्याय ३--दिन्दी मे व्यवहृत विभिन्न छदं पद्धतियां का उद्धव छर विकास १२१ प्रकरण १-छंद का जन्म और उसका प्रवत्तन प्रकरण २-छंद का विकास १२३ १२५ १२५ १२८ १२८ १३३ १३३ १३४ १३७ १४१ १४१ १४१ १४३ १४३ १४३ १४८




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