कम्यूनिज़्म और सांस्कृतिक विरासत | Kamyunijm Aur Sanskritik Virasat

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Kamyunijm Aur Sanskritik Virasat by ऐ॰ बालेर - A. Baler

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गवाता है न पीछे कुछ छोड़ता है, बल्कि अपने साथ उस सबकी भी ले जाता है जिमका उसने अभिग्रहण किया है और जिससे वह अपने को संपृद्ध बनाता है , अपने मे अपने को सकेद्रित करता है। ” * सांमार्जिक-ऐतिहासिक प्रक्रिया के नियमों पर और समाज के प्रगतिशील विकास में सातत्य की भूमिका पर उन मौलिक सिद्धातो को बिदोष महत्व दिया जाना चाहिए जिन्हे क्लासिकी रूसी भौतिक्वादी दर्शन ने पेश विया है। विस्सारिशोत बेलीस्की समाज के विकास को अप्रगति के रूप में और , फलत , सुधार , सफलता और प्रगति के रूप मे देखते थे, और इससे भी अधिक , उन्होंने वर्तुल विकास की द्द्ात्मक सक्रत्पना को स्पच्टल परिभाधित किया था । उन्होंने लिखा था कि भानदजाति न तो सीधी रेखा मे आगे चढती है, ते टेडी-मेढी रेखा में , बल्कि वह वर्तुल में विवसित होती है। इस पूर्वाधार की बुनियाद पर इस महान रूसी आलोचक में निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान समाज मनुष्यजाति के विगतै वे भविष्य दोनो ही के साथ सातत्य से सबधित है) इससे वे एवं अत्यंत महत्वपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचे कि महान ऐतिहासिक घटनाएं सहसा य परिवर्तन द्वारा म्दय अपने आप विवसित नही होनी. पा (जो ष्टी दते दै) भून्यसे प्रदट नही होती, तयापि वे हमा पूर्व वनीं पटलात्रम के फलस्वरूप प्रत्यक्ष होती हैं। अलेक्सान्द्र हर्जेन भी बेलीस्की के द्द्वात्मक विचारों से सहमत थे । उन्होंने सिखा कि जिस विगत के बिना वर्तमान अवश्य होता उसको ऐसी उपेक्षा दरने मै केयादा अमगन और कोई लोड नहीं हो सबसी कि मानों थह विवास दोई बाहरी रपट्रा हो। हर्डेन वी रचनाएं पड़के हम पयहें निप्कर्ष निवाले बिना नहीं रह सकते कि उन्होंने समाज में चातिकारो उधलपुथल के प्रति आशकित थीये चमविवासवाद को तथा भन्ति के विकास में सातस्य थी भूमिका को टुक्ग दिपा था। मुंप्रमिद्ध रूसी लेदर और चाहतिवरगी जनदादी निषच्‌ चेनि पेञ्ो ने बुध पिघरे हुए राष्ट्रों को स्वरित प्रति को सभाव्यता दे बारे में जो बुद्धिमलापूर्ण विदार व्यक्त किये है वे भी इस निच्वर्थं करा» पुर नन्‌ से उदु) दे दार्मनिक दिवकिण'. १६१३.११२१।




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