संस्कृति संगम | Sanskriti Sangam

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Sanskriti Sangam by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एक भारतीय संस्कृति के निदशन इस विशाल महादेश की संस्कृति का श्ध्ययनं करने के लिगु पडिता से नाना दिशाओा में प्रयल किए हूं । किसी ने सिन्न-भित्र प्रदर मं फली दुई भाषाओं रौर उनके साहिव्य का श्रध्ययन किया है, किसी ने घससतों उॉर सम्प्रदाया की चिशेपता की श्रार विद्वानों का ध्यान श्राकृष्ट किया 'क्रिसी किसी ने राजनीतिक ध्योर जातिगत इतिदास की धार प्रद्नसि दिखाई ; परन्तु थे सारी वातें श्त्यन्त छावश्यक होकर भी संपण भारतीय संस्कृति का परिचय कराने में श्रसमयं ही हु । केवल इतिदास, केवल .लोक-संख्या श्यीर केवल. भाषा-विद्वत्ति ता पर्याप्त हैं ही नहीं, सब सिलाकर भी कुछ कस ही रद जाते हैं। ज़रूरत हैं कि भिन्न-भिन्न सम्प्रदाय 'ोर जन-समूहां के भीतर जो योगायार है, परस्पर के प्रभाव श्र प्रतिपत्ति का संकोच-प्रसार हैं उसका जीचन्त इतिहास जाना जाय ! इस प्रकार के अध्ययन के लिए सबसे उपयुक्त स्थान काशी है । यहाँ भारतवर्ष के सभी प्रदूशों, ्ौर सभी सम्प्रदाय के लार श्पनी श्रपनौ विशपताण लिये हुए चत्तमान हैं । काशी संक्षिप्त हिन्दुस्थान दे । श्रन्यान्य चदे-घड़े शहरों में भी भिक्त-सिन्त प्रदेशों के लोसों का निवास है परन्तु चहदों वे जीविका के लिए राए हुए हैं और श्रपनी-ग्रपनी सांस्कृतिक विशेषताएं प्रायः दया कर रखते हं । काशी मे यद्‌ यात नहीं दे । इसीलिए स्वर्गयि कविवर रवीन्द्‌- नाथ ठाकुर जब सच, १९९३ इं० में काशी गए थे तो उन्द्रनि दम जीचन्त इतिहास के व्ध्ययन की थार-बार चर्चा की थी ! यथपि सेरा कायर ~~~ १---- ६ ६




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