एक महान नैतिक चुनौती | Ek Mahan Naitik Chunauti

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Ek Mahan Naitik Chunauti by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उन्ककं के वाद ९ दूसरी भ्रोर, सिनेटर जेम्स वन्सं ने कर्नन चाल्सं लिडवगं कौ युदधसे भ्रलग रहने की पराजयसूचक नीति के विरोध मे भाषण दिया 1 वेन्डेल विल्की ने कहा-- हिटलर केवल वल जानता है 1 जव हम अपने उद्योगो की मज्ीनं चला देगे जर एक करोड श्रादमियो को काम पर जृटा देगे तो उसको भासे खुल जांयेंगी ।” फ्लोरिडा के सिनेटर पेप्पर ने इस वात पर जोर दिया कि भमे- रिका के हवाई जहाज यूरोप के जनतत्री देशो को बेचें जायें । ग्रमेरिका के लोग वहस करते रहै । उधर नाजी सन्य-दलो के चलने से, जर्मन गोताखोर हवाई जहाजों के शोर से प्रौरटेको कौ खडखडाहट से यूरोप कपि उठा। मौर फिर उन्क्कं का युद्ध हुभ्रा। २८ मर्ईको वेलजियम के राजा {लियोपोल्ड ने भ्रपने सिपाहियों को हथियार डाल देने का श्रादेशा दिया । इससे ब्रिटेन और फ्रास की सेनाएँ भयानक संकट में फेस गई । “हमे कठोर समाचारों को सुनने के लिए तैयार हो जाना चाहिए,” विन्सटन चाचिल ने पालंमेण्ट में कहा । गहनतम निराशा के समय वह प्रधान मत्री बनाये गये थे ब्रिटिश शरीर फ्रासीसी सिपाहियो की एक छोटी-सी टुकडी समद्र की श्रोर पीठ किये उन्ककं में साहस के साथ लडती रही जिससे कि शोष ३। लाख ब्रिटिश संनिक इग्लैण्ड लौट जाने की चेष्टा कर सके । जब कि वे उन्ककं के तट पर जहाज़ो की प्रतीक्षा कर रहे थे, जमंन विमानों नें उनपर घृंश्राघार गोले वरसाये । ब्रिटेन से जहाज श्राये--विध्वसक यान, छोटी नावे, स्टीमर, केलिपोत, मछली फॉसानेवाली बोटे छोटे-छोटे बच्चों द्वारा रस्सी से खीचकर चलाई जानेवाली नावे --जो भी आ सके, श्राये । जमंन-विमानो ने उन पर टूट-टूटकर बम बरसाये । छोटे जहाज़ो पर चढ़ने के लिए सिपाहियों ने गर्दन-गर्दन तक पानी पार किया । घायलों को लोग हाथों श्रौर कन्वों पर उठा-उठाकर ले गये । जहाज बोझ से भुक गये । 4 डव गये । इनमे से क्यो | पर सिपाही खचाखच कक ४ (1 ( पास की प्रायः सभौ चीजे फक दी, कितु उन्होने श्रपने तो ए से का बकरी सदन पर ( इस्पात के टोप नही हुटने हि समृद्र मे विस्फोटक सुरगो श्रौर टारपीडो का जाल विदा हसा था । अरपतार्लं ) गिराये ज > संनिकः घावों पर 4 ६ ९ 1 ट हं दो उन्हे लोग हुष और दख के मिश्रित ग्रस्‌ व हाते ध कि 1 इग्लेण्ड में खुशी मनाई गई । अमेरिका में भी ५ 1 4 एसा ही हृश्रा । जहाज क्‌ वार




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