रामकलेवा | Ramkaleva

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ramkaleva by कविरामनाथ प्रधान - Kaviramnath Pradhan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कविरामनाथ प्रधान - Kaviramnath Pradhan

Add Infomation AboutKaviramnath Pradhan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हर पदस्तवतमलं अनु बदल भन्न कम्य किक ५ नयी क ६ ॥ सः _ ई [10 1 1 वि पव मम भि ०००८५०१ न (भित 0 ५ + ता | ) [५ श क ८ अ, श ताजी॥ ९ स्तीकस्साज कुल कानि चढ़ादे बर्ध बन गे सन टूर । ।सुरि % (क ५५। ९{; ५ 4४ १.4 ५४ सशि ५४ ॐ १ १ श { «ह जावि सजो शनैर्‌ सरिरस्य सरन तरस्‌ दरथः 1दण्तेद्‌ भय वदद्यपिमेत री सूरि पनिपिपः यददस्‌ पेष ८१२ म | स्हललकःटूगापायौ सायत नधि्वस्‌ देर म नसि मनि चरन परीतेमकी द्यवे देति नव्थारी नर सास नी स्तासतस सर भारै५२ ३५शजग से वसुर देश्बियत्‌ सरसम सनन! नृसरैरं तिजव्याययरतेद्ैविनप्ैदस्‌ खाती ४०९९॥ चन खन १नस्ट्‌ रै रु, सदन भेनस्तशम सिर जागी।ज्वों यूये प्यिय खाय छ जमर न शारो # निण्यं तादी से सुम्‌ स्यम यनलेच पीन सनीनीप चिरि तेदूंभस्शजानैजिने, इष्य प्वितीती ५ ०६५ [२ भारि सगो नन्दे गी रुखतसृयसत शरीर प्रीति अय यदिद व्ये रनिवह्न कीर ॥०५ वस्ते निषएप्रहै नरम मै सन्‌ सम मी ष्परप शुनीत विनीन मीत ङेदेव्‌ न देव विथारी १०८५ ज.क सं ममि जती दहे कर्‌, भलि दिल दार प्यार वः यते, वर न दहूयि दध ५ भ्रेष प जाप चुरसरर शक तत्स शर्‌ पिरे र ॥भ्प्म्यु] धिवदेलविथासा उ वयार सने १. निनि न्माय चन्म रेसदयरसापीभे कत ई खो | | २९५१ मे कर वस्था भपय ८ र्यत स्‌ यर भमसनसार्‌। र दवद पवद्रेन | विधाता शापन प्राण्‌ पिय जन्त भीनर वमे चन्मभरिप करितन सुरये पे सरन ५) त मे प्रोाससका विधिन विधेणिकराते+ | ३३५ वरसूररस्याक लगाय चाय भ स्याप धरनि ददर रथेयस्त रिप || कय पेलि भू का॥ ४९५ जति पोति रपस्‌ तट नूच ८ स्विद्‌ पिः रोर्सीस को सूर इननेसनिनिन्यारी ॥ शेर कलयत सुरभे यासकसार) न- | # पा वि




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now