लाला देवराज जी | Lala Devaraj Ji

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Lala Devaraj Ji by सत्यदेव विद्यालंकार - Satyadev Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १६५ ) जा सकता दै । हम को पूरा भरोसा है कि झ्ाये जनता इस सम्बन्म में श्रपने कतेव्य-पालनमें नचुक्रेगी श्रौर न कुछ टक्ञही करेगी | उसका पृश सहयोग श्र उदार सहायता इमको निश्चय ही प्राप्तं होगी । योजना की रूपरेखा उद श्य- (१) रमर-शदहीह श्री स्वामी श्रद्धानन्द जी महाराज की स्मरति को साहिव्यमें स्थिश्बनाना। (२) उनसे खम्बन्ध श्खने वाल्ते साहिलज्ञ.को सगरहीत करके उनके जीवनी साहित्य को यथासम्भवं पणे करना । £ काय- श्रद्धानन्द-प्न्थ-पाला' अर श्रद्धानन्द-निबन्ध-पाल।' के नाम से दो मालाओओं को प्रकाशित करने का पिचार हे । 'अ्रद्धानन्द-प्रत्थनमाल्षा में झभी तीन प्न्य प्रहारिक किये जायेगे, जो सब मिला कर कम से कम ३-२॥ हजार प्रष्ठ के होगे । “श्रद्धानन्द-निबन्घ-माला' में लगभग डेढ़ हजार प्रप्ठ का




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