न्यायमन्जरी ग्रंथिभंग | Nyayamanjari Granthibhang

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Nyayamanjari Granthibhang by नगीन जी शाह - Nagin Ji Shah

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नगीन जी शाह - Nagin Ji Shah

Add Infomation AboutNagin Ji Shah

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
स्यात्‌ । कि. त्वपूवमेव॒ कस्यचिद्धावे प्रागविमानं भवत्‌ तत्‌ कार्यम्‌ । तत्र विषयेन्द्ियमनस्काराणामितरेतरी पादानाहितरूंपमेदानां सनिधी विशिष्टस्वेतरक्षणभावे ग्रत्येके॑ तड्रावाभावानुविधानादनेकक्रियोपयोगों न विरुध्यते । यत एकक्रियायामपि तस्य तद्धावाभावितैव निबन्धन॑ सा चानेकक्रियायामपि समाना” हर्ति । [स्थाद्दादरत्नाकर प्र० ७६४] 06 शप्ता ग ल ऽ9्तष्ठवेकाशपकशा8 ४०५66 € (रलं छात णि तणाढा9 10४5 }€ 68115 0 108110600818. ¶)16€ १558 &८8 7€्‌0०५४५८० लए णाप {€ 80४08181 ५818 81४६ एड 5006 1068 एव 6 प्र्ाप्ाह 0 प्रकार पी, 0णो8घ8:8 (लापकलाछा+# ० 1906 100४१०78. 00 (व).18त0818'5 5005178, 1807018 इध्छि5$ 10 1016 #८७8 ता (द्रा ण्य तणाहा8, ते 1891 18 0617 106 वणा एवठफणष्ह 10 9 स्लणण$ है, है, 175 (6एा(४ आकणतै एनं € ४660 अल (18 ०816. 490 10 ०णा फा 56 © 000 कौ = »ू६्‌। 10090 = ोरठालक्षा = 0ता0814 15 8512066 10 फिट 6100 779-813 ^ ए गा #0€ 08515 ज †76€ 58 0 रिव्र]व81काइीए 0 06 लीड 10 0011818 ४/5 8 5404व074/ ग 1 184व0148 , (80 (ला, 4. 0.) 0 89118. 70४5 {96 १३1८ वात ‰1366€ 1 1766€ 1/० [0008185 आ€ 00€ 81 10€ 5वप्ा€ ऽ श्रा) 50655 फि ववण त (0686 1५० पकष्ान् डः. 2. ए शाशा ^ ¶० प्र पा०8॥ 8णाछा156 808एांए1द08 प्रा 0 10 0८ 2 (त्ार्ड2. प्रह 8 10६ & वपिशाषव्रएप2 88 ५८ (गणा णाप 0 06 01 फिट 0495 9 15 ५008 ५०५९१ 10 {€ {1 411४३587808.1 (91८780)11978 १८७८४६७ ण 28 8 = द्रव ८2/12/4. परि€ ऽध्ला5ऽ 10 ३५८ ए111[ला 8 ल्तणाफहणांशा$ 0 1८ [05919 8प्ा79. 4.10 176 पप्रजशलाऽ छना 17 ल व भक ्808 376 प0ऽ ए0णषछ$ जण 1015 घ्णक्ालाभर (1800918 584ऽ (8 पती हात एत्रेणणीतड तल तलो 10 ला ल्ोशोाक्षप्ठा ज 90105705 ज € [0प्ठ्र+885चा8. ^ शभा 1091766 ता६प छर (कतादठौव्ा& 18 कणं ग € कफाल्रद्यक्नीाठा$ रप ४४ (ल ण {6 ऽचीक्षे /्र1वु (वावा एतणथिढ ¶फलएालऽ 00101040 0 16 86056 ण *लण्&60 70 [0$90गा लेना हा ड' शफलट85 (पएिएक8 धाटा]फाटा8 10 {€ 5€056 ण मि (1 €. वदाव त) 00951081 ललफलणाऽ'. (018 15 80 [प्ण 806 कदल ६८6 ग 1000 ११४०१६९6 10 ४5 9४7 (08218त818, 3. श181९4 2154 (94011878 1€ लऽ {५ ००९ एए5धघाद5६ 85 {16 णजा 9 8 ७0एए006018179 (५८) ० (6 एतवत 9०5 08. ७८ 96 (010 (0 [6 कऽ 8 तकाण्कु०६०., पा 018 0000 (819 € ए०*६त {96 (7दक#द 9 (€ 2440) 7५, 6६. 1.6 ४३ 9४५४ शा त्यक्ष गा (€ ऽद्रठ कप्ीकादवा क ष्ठ 1०42220 [8२85 1.1.44}. 1 ४75 95 01० (्ञानानुत्पत्तिकृतं संदेहा नबन्धनं विपर्ययहेतुकं वा अप्रमाणं मवति । तदेतत्‌ त्रिविधमपि पञ्चरात्रादिषु नास्ति । “विज्ञानादिभावे वा” 1. दर्शः ४० ५० -०६€ २ ० , 197




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now