पूर्वोदय भाग 2 | Purvoday Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)|] „न < दग के
; ३१
सर्मोदयः वतमान ओर भविष्य
प्रश्न --राऊ के सर्वोदय-समाज-सम्मेलन के बारे में आपकी क्या
राय है १
उत्तर--मैं उसे सफल हुआ समकता हूँ । प्रस्ताव एक श्राया शरीर
विनोवा के सुभाव पर प्रस्तावक ने सद्मावना के साथ उसे वापस खींच
लिया । यह सफलता का ही प्रमाण है ।
प्रश्न--द्ापका निर्देश शायद श्री युलजारीलाल नंदा के प्रस्ताव की
ओर है | उसके बारे में आपको क्या कहना है ?
उत्तर--प्रस्ताव श्रपने में क्या चुरा था, पर वात की गहराई तक
शायद बह नहीं जाता था । भूमिका में एकांघ वाक्य सरकार के लिए,
श्रालोचनात्मक थे जो गेंरजरूरी माने जा सकते थे | काला-वाजार की
वुराई पर उसमे जोर था | जिसे उजला माना जाय, उस वाजार मे श्रौर
कालेवाजार में विभाजक-रेखा सरकारी कानून की ही है न? नेतिक
कानून से देखें तो खुला वाजार भी कोई खास उजला नदीं रहता । वह
भी खासा काला समा जा सकता है | श्रसलमे द्राज की श्रथेनीतिदी
श्रौधी है । व६ नफे के लिहाज से चलती है शरोर सरकार खुद एक व्या-
पारकि संस्था चन जाती है । सर्वोदय माननेवाले कालेवाजार की बात
कहकर उजले वाजार को ग्रद्ूता छोडे ओर उसको एक तष्ट श्रपनी सरह
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