वीर बाला [भाग 2] | Veer Bala [Part 2]

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Veer Bala [Part 2] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३३ तीसरा परिच्छेद से मुक्त पर विश्वास करके ही यह प्रस्ताव हमारे सामने रक्‍्खा था । यदि इस समय इस रहस्य का उदूघाटन कर दूँ तो छाह्डरेज बिना क्षण भर का भी विलम्ब किए उसे फॉसी पर लटका देंगे । इस नर-हत्या का पाप मेरे अतिरिक्त और किसे लगेगा ? उसने मेरे साथ विश्वासघात अवश्य करिया है, किन्तु क्या इसीलिए में भी उसके साथ विश्वास- घात करं १ “किन्तु अङ्गरेजां को यह भेद बताना ही दोगा, नदीं तो वे तुम्हें विद्रोहिनी सममेंगे; तुम्हें विश्वासघातिनी कहेंगे । तुम उनसे पेन्शन पाती हो । इसलिए यदि कोई उनके चिरुद्ध 'घड्यन्ध करे तो मित्रता के अनुरोध से उन्हें इसकी सूचना देनी ही चाहिए ।” “छङ्गरेजों की जाति रास है! वे लोग सुभ पर घोर अत्याचार करे, तो भी मैं उनके प्रति झत्रिम मित्रता का भाव नहीं दिखा सकती । से जानती हूँ, लोगो को बाध्य होकर उनके साथ कपट का व्यवहार करना होगा, किन्तु ञं क्या इस तुच्छं वृत्ति केलिए इस कपटाचरण में प्रत्त दोर १ इन पामरोंके दिलिहमारे हदयमे घोर घृणा के भाव भरे हुए है । मैं किस मुँह से इनके साथ अङन्निस सित्रता का साव दिखाऊगी ? भाग्य में जो लिखा होगा; घटी होगा । सै किसी पक्त का समथंन ही करती 1 - लक्ष्मीजाई की बात सुनकर उलके पिता बडे असम खस डे




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