श्रीकृष्ण - विज्ञान | Shrikrishn - Vigyan

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Shrikrishn - Vigyan by पुरोहित रामप्रताप - Purohit Ramapratap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्वितीयादृत्तिका परिचय द्‌ 9 कीक शीरृष्ण-विपान' श्रीमद्भगवह्ीताका सुन्दर दिन्दी पया- जुवाद ऐ । इसके जनुवारक जयपुरराज्यके एक प्रतिष्ठित, पिधयाप्रेमी रईस--पुरोदित श्रीरामप्रतापजी महोदय हैं। आप चिद्ान, जीर सादित्यप्रेमी है । आपने ज्योतिपफा भी सच्छा अध्ययन किया है । पुरोदितजी गुणोजनोंका आादर करनेवाले, विनम्र एवं निरभिमानी व्यक्ति हैं। आपका अधिकांश समय साहित्य-परिशीलनमें ही व्यतीत होता है । संक्षेपमें यह कह दिया जाये तो अधिक उपयुक्त होगा कि आपपर सरस्वती जीर लक्ष्मी दोनोंकी छापा रहती ऐै। ऐसा संयोग आजकल बहुत कम दिखायी देता है । फुछ समय छुआ जब पुरोहितजीके खुपुत्र, हिन्दीके परिचित पुकि फमार श्रीप्रतापनारायण (फविरल ) ने “श्रीकृष्ण- विष्रान के प्रथमावृत्तिकी पक प्रति मेरे पास इसलिये भेजी कि मैं उसे एक चार ध्यानसे पढ़ जाऊँ। साथ ही उन्होंने यह भी लिखा कि प्रथम संस्करणको समाप्त हुए बहुत दिन हो गये । इसके पहले सुके इस पथानुवादसे विशेष परिचय प्राप्त करनेका सुयोग नहीं मिला था। हाँ, अपने दो-तीन मित्रोंसे कुछ स्फुर 'पथय जुरूर सुने थे और हिन्दीके प्रकाशक मेरे एक मिधने मुझे यह भी बतलाया था कि उन्दने दन पर्योको एतना पसन्द्‌ किया




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