जीवन - शोधन भाग - 1 | Jivan - Shodhan Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
434
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१९
१. साराधना १३८९४७०
आएमनिवेदन-भक्ति : जगत्क्तो सेवाका महन मागे १३८;
सिट पुरूपकीो योग्यता १३८, प्रवयक्षके अभावे परो्षकी * साराधना *
१३९, सुपासना, भक्ति, आराधना, विकृत आराधना १४० 1
धे. भक्ति ठर धर्म ९४९-१४७
°मर्वधर्मान् परित्यज्य * शोकका रदस्य; सदरुरुशरण जानेमें
गृहीत विचार ९४१-९४२; भक्तिको पयैवमान १४३; धर्मेका अथै;
ध्म भौर कमैका भेद १४३; श्ररणमावना व बुद्धिका विकास;
भंक्तिका अन्तिम लक्ष्य १४४; भक्ति और धर्मकी मर्यादा; शरणका
भें १४५; मवित-भार्वोको मात्रा १४६ ।
५५, शुरू १४७-१५१
रुरु-खदयुरु, सदुयुरुको आवदयकता किसको १ १४७-१४८;
गुरूदिष्य सम्बन्धकी अवधि; शगुर-कृपो ` १४८-१४९; पयनिर्माण
१४९; वम मौर भन्य्नद्धा १५०-१५१ 1
६. सदुगुस्श्ररण ॥ १५९-१६०
युरद्षरणके सम्बन्धे महावीर, बुद्ध व गांधीजी; झुरुशादी
१५९११५२; दोगी चनिष्ठ, किसको शुरु न बनानेका भिथ्याभिमान
१५२; जोवन-शोधनमे सदकारके विय्यकी जरूरत, सका भेक
मायै -- “प्रेष › १५३, सद्युस्के सम्बन्धे विचारणीय वर्ते १५४
१५७; सुममें होनेवाठी वार प्रकारषी भूरे चमत्कारकी शक्ति,
वाहापूर्णता, विभूतिमत्ता और चारके माससे सत शुर्णोकी खोजनेका
आय १५८-१५९; जगदूरर्का अयै २५९-१६० ।
७. गुरुमफ्ति और पूजा १६०-१६४
सुरुपूनाका गलत आदर्श १६०-१६१; गुर गोविन्दसि्का
टृ्टान्त १५२; मूतिपृजाकी मर्यादा १६२-१६४ 1
८. सदूभाव ओर सरमंग १६५-१६८
सतमव -- मतभक्तिका यै, एनुमान भौर भगदका सुदहहिरण
१६५२६६१ सुक्तका जीवनमे सुपयोगी स्यान १६६; मविेवयुक्व
स्नपूजा ६६७ ।
९. भपितके भरदर्णोका त्यं १६९-१७०
अक्नि-भावक्त भ्रुचित्त व अनुचित विनियोग
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