भारत में अपराध दंड एवं सुधार | Bharat Men Aparadh Dand Aur Sudhar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
406
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डोनाल्ड आर० टैव
*“अपराधयास्त्र का शब्द सामान्य एवं बिषिष्ट ख्प से प्रयोग में लाया
जाता है । इसके अन्तर्गत बह सभी विषय वस्तु सम्मिरित है भो अपररा
एवं उसके उपार से सम्बद़ है । जब इस शब्द का प्रयोग व्यापक खूप
से किया जाता है तवं मपरधिशास्त्र के अन्तर्गत चार प्रमूख अन्तर.
सम्बन्धित माग सम्मिलित होते है : अपराषं की व्याख्या; अपराधी का
तादात्म्यीकरण एवं अपराध का पता लगाना; दंड और अपराधियों का
सुधार; तथा अपराध का निवारण ।””
मेवेल ए० इलिएट
“'अपराधशास्त्र को अपराध तथा उसके उपचार की वैज्ञानिक प्रणाली
के रूप में परिभाषित किया जा सकता हूँ ।”*
भाईकेल एवं अडलर ।
“अपराध शास्त्र अपराधियों के कृत्यो, स्वभावो उनके पर्यावरण तथा
उनके सुधार की विधिर्यो के बारे में सुचना उपलब्ध कराने वाला एक
आधुनिक विषय है ।” *
थासंटेन सेलिन
अपराध के दमन तथा निरोध से सम्बन्धित सम्पूर्ण ज्ञान को अपराध-
शास्त्रीय माना जाता है । भपराघलस्वर शब्द का प्रयोग इसी वैज्ञानिक
ज्ञान की उपलब्धि के हेतु किए गये प्रयत्नों को वर्शित करने के सन्दर्भ
में किया जाना चाहिए ।*
डोनाल्ड जे० न्यूसेन
“साधारण दब्दों में अपराघशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है
1. डोनास्ड आर० टैपट, क्रिमिनालोजो (न्यूयार्क : 1942), पृ० 9.
2. मेवेल ए० इछिएट, क्राइम इन लाडनं सोसाददी, (न्यूयाकं : 1952),
पु० 24.
3. जरोमे माइकेल ऐग्ड मार्टोमर अरलर, क्राइम ला एन्ड सोशल साइम्स
(स्यूयाक : 1933), पुर 46०
4. थासटेन सेलिन, कल्थर, कामफ्लिकट एस्ड क्राइम (न्यूयार्क : 1938),
पु० 1-3. -
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