भारत में अपराध दंड एवं सुधार | Bharat Men Aparadh Dand Aur Sudhar

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Bharat Men Aparadh Dand Aur Sudhar  by एस॰ पी॰ श्रीवास्तव - S. P. Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डोनाल्ड आर० टैव *“अपराधयास्त्र का शब्द सामान्य एवं बिषिष्ट ख्प से प्रयोग में लाया जाता है । इसके अन्तर्गत बह सभी विषय वस्तु सम्मिरित है भो अपररा एवं उसके उपार से सम्बद़ है । जब इस शब्द का प्रयोग व्यापक खूप से किया जाता है तवं मपरधिशास्त्र के अन्तर्गत चार प्रमूख अन्तर. सम्बन्धित माग सम्मिलित होते है : अपराषं की व्याख्या; अपराधी का तादात्म्यीकरण एवं अपराध का पता लगाना; दंड और अपराधियों का सुधार; तथा अपराध का निवारण ।”” मेवेल ए० इलिएट “'अपराधशास्त्र को अपराध तथा उसके उपचार की वैज्ञानिक प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जा सकता हूँ ।”* भाईकेल एवं अडलर । “अपराध शास्त्र अपराधियों के कृत्यो, स्वभावो उनके पर्यावरण तथा उनके सुधार की विधिर्यो के बारे में सुचना उपलब्ध कराने वाला एक आधुनिक विषय है ।” * थासंटेन सेलिन अपराध के दमन तथा निरोध से सम्बन्धित सम्पूर्ण ज्ञान को अपराध- शास्त्रीय माना जाता है । भपराघलस्वर शब्द का प्रयोग इसी वैज्ञानिक ज्ञान की उपलब्धि के हेतु किए गये प्रयत्नों को वर्शित करने के सन्दर्भ में किया जाना चाहिए ।* डोनाल्ड जे० न्यूसेन “साधारण दब्दों में अपराघशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है 1. डोनास्ड आर० टैपट, क्रिमिनालोजो (न्यूयार्क : 1942), पृ० 9. 2. मेवेल ए० इछिएट, क्राइम इन लाडनं सोसाददी, (न्यूयाकं : 1952), पु० 24. 3. जरोमे माइकेल ऐग्ड मार्टोमर अरलर, क्राइम ला एन्ड सोशल साइम्स (स्यूयाक : 1933), पुर 46० 4. थासटेन सेलिन, कल्थर, कामफ्लिकट एस्ड क्राइम (न्यूयार्क : 1938), पु० 1-3. -




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