नेताजी सुभाष के विशेष पत्र | Neta Ji Shubhash Ke Vishesh Patr

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Neta Ji Shubhash Ke Vishesh Patr by शंकर सुल्तानपुरी - Shankar Sultanpuri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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किए बिना दिश्व-सम्यता वास्तविक उन्मेष नही पा सकती ! केवत यही नहीं, विज्ञान, कला,साहित्य,ब्यवसाय-वाणिज्य इन सब दिशाओं में भी हमारा राष्ट्र विश्व को कुछ देगा और सिखायेगा । इसीलिए भारत के मनौधियों ने अन्घकारपूर्ण युगो में भी अपलक भारत का शानप्रदीप जलाए रखा । हम उन्ही की सन्तान हैं । अपना राष्ट्रीय लदय प्राप्त किए विना म मर सक्ते हैं। मनुष्य-देह पंच भूत में मिल जाने प्रर भी जीवात्मा कभौ नहीं मरती । उसी प्रकार एक राष्ट्र के मर जाने पर भी उसकी शिक्षा- ही तब उसकी का्यं-सूची बन जाती दै मौर सोक-लीकं षदन ही एकमात्र नीति है। इम दशा में कोई-कोई राष्ट्र बचा रता है, यदि उसके अस्तित्व की साधंकता रही तो । मृत्यु और जागरण के अन्तराव- सम्बनसे ५ कारण उसरा एक मिशन रहा है--भारतीय सफ्यता था एक उद्देश्य है जो बाज भी सफल नहीं हुडा है। - भारत दे इस मिशन में जिसकी बास्या है बह भारतवासी ही मसाज जीवित है न वि वे सैतीस बोटि सोग जो बेदल जिन्दा रहते षष




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