संस्कृत नाटकों का भौगोलिक परिवेश | Sanskrita Natakon Ka Bhaugolika Pariwesh

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Sanskrita Natakon Ka Bhaugolika Pariwesh by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची पृष्ठ सख्या प्रावकयन नस विषय-सूची ॥/ ग्रन्य-सद्धोत श्वा श्रयम प्रध्याय 1-12 विषय-प्रवेश 1 नाटको मे भौगोलिक जानकारी की विवेचना 1 2 ब्रह्याण्ड श्रीर्‌ पुथिवी वा भौगोलिक विभाजन 3 सातं समुद्र, दश दिशाय, सात बुल पर्वेत, चौदह लोक, वायुमण्डल, नभोमण्डल, पृथिवौ लोक 3 भारतवर्ष का भौगोलिक विभाजन 6 द्विलोय प्रध्याय 13-40 पवेत, वन, सगेवर श्रीर समुः 13 फ पर्वत ~ विन्ध्य, पारियाभ्र, शुक्तिमान्‌, छ, महैन्द, सह्य, मलय, रैवतव, हिमालय, गर्धमादन, मन्द राचल, कंलास, हेमकूट, मेर, रौ, मनाव, सुवेल, धरिकरट, रोहणाचल, माल्यवान्‌, चछषवमूक, चित्रकूट, मदगन्धीर, श्रीपर्वत ख वन 31 विन्ध्यारण्य, दकषिणारण्य, दण्डकारण्य, जनस्थान, पचवटी, तपनेवन, नैमिपारण्य, कुमा रदन, वेशुवन, नायवने ग॒सरोवर--मानसरोवर, पम्पास्ररोवर 36 घ सभुद्र्मौरद्रीष 38 तृतीय प्रध्याय | 41-58 नदिया श्र उनके संगम कावेरी, गोदावरी, गोषत्ती, गौतमी, चन्दमागा, तमसा, तपौ, वाच्रपर्खी, वुङ्खमद्रा, नमदा, पयोष्णी, भागीरयी, मन्दाकिनी, माचिनी, मुरला, यमुना, शिप्रा, शोण, सरयू, सिन्पु, भन्य नदियां, नदियों वे संगम




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