प्रज्ञा प्रतीति परिणाम | Pragya Pratiti Parinam

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Pragya Pratiti Parinam by महेन्द्रकुमार जी प्रथम - Mahendrakumar Ji Pratham

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साधना के विकास की प्रक्रिया ६ आलोचना-प्रत्यालोचना करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। मैं मानता हूं, प्रगाढ़ मैत्री की ओर हमारा एक और चरण बढ़ा है जो मानव-मात्र के कल्याण का निमित्त बनेगा । १. र अप्रैल, १६७१ को मंक्सम्यूलर भवन, नई दिल्‍ली द्वारा आयोजित विदेशी विद्वानों की सभा में अवधान-प्रयोग के अवसर पर दिया गया भाषण ।




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