आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी व्यक्ति और साहित्य | Acharya Nandadulare Vajapeyee Aur Sahity

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Acharya Nandadulare Vajapeyee Aur Sahity by रामाधार शर्मा - Ramadhar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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^€. आगराकचन्‌ -आचायं वाब्रु श्थामसुन्दरदास् डी° लिट्‌० नन्ददुलारे वाजपेयी का अन्म भाद्रपद प्ण १५, स० १९६३ को उन्नाव जिले के मगरायल ग्राम में श्रेप्ठ वान्यकुब्ज ब्राह्मण-कुल में हुआ था । इनके पिता, पहले खेतडी (राजपूताना) म हिन्दी के अध्यापक थे । वहाँ से वे कलकत्ता गए और वहाँ की पिंजरापोल नामक गोशाला में मंतेजर नियुक्त हुए । यह एक बहुत बड़ी गोशाछा टै, जिसमे हजारो कौ सख्या मे गाये रहती रह । उसकी एक शाखा विहार प्रात के हजारीबाग जिले में भी है । कुछ दिन बाद इनके पिता कलकत्ता से हनारी- बाग गोशाला के प्रबंधक नियुक्त होकर चले. गए । यहाँ का प्राकृतिक दुश्य बडा मनोरम है, यही इनका आरम्मिक जीवन व्यतीत हुआ 1 जन्म के डेढ़, वर्ष वश्द हो इनकी माता का देहान्त हो गया था । इनकी शिक्षा घर ही पर हिन्दी से आरम्भ हुई। अंग्रेजी की आरम्भिव पुस्तकों भी घर ही पर पढ़ी । सातं वर्ष वी अवस्था मे वही के मिशन काल़ेजिएट स्कूछ में भर्नी किए गए । ये अपनी कक्षा के सबसे छोटे विद्यार्थी थे । उस स्वूल से इन्होंने सन्‌ १९२० में एट्रंस की परीक्षा पास को और फिर सायस छेकर्‌ एफ० ए० मे पढ़ने लगे । क्त इस विषय की ओर्‌ रचि न होने से दूसरे वं सायस के स्थान पर आटे स लेकर पटना आरम्भ किया । सन्‌ १९२४५ में इन्होने एफ० ए० पास किया । उसके अनतरर ये करी विश्वविद्यालय से प्रटने के लिए आए ! यहाँ सन्‌ (९२७ में वो० ए० और १९२९ मे हिन्दी लेकर एम० ए० पास क्या । वी० ए० मे ये विश्वविद्यालय के प्रमुख छात्रों मे थे और एम० ए० में अपनी श्रेणी के विद्या थियों में इनका प्रथम स्थानथधा। १९२९ से ३० तक ये “मध्यकालीन हिन्दी- काव्य”. में अनुसन्धान वायें करते रहे । हिन्दी कौ ओर इनकी रुचि स्कूल से ही थी । हजारीवाग में शुद्ध हिंद बोलने वालो कौ सस्या वहुव कम थौ 1 विद्याथियो को भी शुद्ध हिन्दो-खिखना या मोलना नही आना था । स्वूल के प्रधान अध्यापक, जो त्रिद्वियन ये, देदरी-निवासी होने वे कारण युद्ध हिन्दी बोल लेते थे । उन्होंने इन्हे प्रोत्साहित क्या । छोटे-छोटे




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