वैदिक वाड्मय में मरुदगण के साथ अन्य देवों के सम्बन्ध का समीक्षात्मक अध्ययन | Vaidik Vadmay Men Marudgan Ke Sath Anya Devo Ke Sambandh Ka Samikshatmak Adhyayan

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Book Image : वैदिक वाड्मय में मरुदगण के साथ अन्य देवों के सम्बन्ध का समीक्षात्मक अध्ययन  - Vaidik Vadmay Men Marudgan Ke Sath Anya Devo Ke Sambandh Ka Samikshatmak Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2. वष्कल शाखा:- इस शाखा की सहिता वेद विद्वान रथ को कश्मीर कं राजा हरिसिंह से जीर्णशीर्ण अवस्था मे प्राप्त हुई थी। जिसका प्रकाशन बाद में जर्मनी से हुआ है। इस संहिता में 1025 सूक्त है । अनुवाकानुक्रमणी' से ज्ञात होता है कि प्रथम मण्डल के मन्त्रो मे शाकल्य क्रम से वाष्कल क्रम कुछ भिन्न है। ३. आश्वलायन शाखा- आश्वलायन शाखा की संहिता तथा इसके ब्राहमण, आरण्यक आदि ग्रन्थ सम्प्रति प्राप्त नही है। इस शाखा के सूत्रग्रन्थ यथा आश्वलायन गृहसूत्र तथा आश्वलायन श्रौत सूत्र ही उपलब्ध है। 4. शांखायन शाखा- इस शाखा की संहिता तो उपलब्ध नही ठै किन्तु इसके ब्राहमण, आरण्यक ओर उपनिषद्‌, शांखायन अथवा कौषीतकी के नाम से उपलब्ध होते है। 5, माण्डूकायन शाखा- नामोल्लेख के अतिरिक्त इस शाखा का कोई भी ग्रन्थ सम्प्रति उपलब्ध नहीं है। ऋग्वेदीय विषय विवेचन ऋग्वेद धार्मिक स्त्रोंती की एक अत्यन्त विशाल राशि है। जिसमें होता नामक पुरोहित के लिए नाना देवताओं की बडे ही सुन्दर तथा 1 अनुवाका० 21 । (61




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