स्थानिक विकास प्रक्रिया में सेवा केंद्रों की भूमिका | Sthanik Vikas Prakriya Me Sewa Kendron Ki Bhumika
श्रेणी : शिक्षा / Education, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
179 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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8. सेवा केन्द्रों प्रभाव क्षेत्र का निर्धारण करना तथा स्थानिक स्तर पर उपभोक्ता
व्यवहार प्रतिरूप तथा कार्यात्मक रिक्तता एवं अतिव्याप्तता का अनुरेखण करना |
9. रोवा कौन्द्रों की सामाजिक एवं आर्थिक विशेषताओं को प्रभावित करने वाली विकास
नीतियों की समीक्षा करना | .
10.सगय्र जनपद के विकार हेतु रोवा केन्द्रों का एक आदर्श पदानुक्रमीय प्रतिरूप प्रस्तुत
करना |
सेवा केन्द्रों का अभिज्ञान (तकला्ाीस्मीमजा 01 ७©1-%1८९ (ला {1-65)
वस्तुतः स्थानिक कार्यात्मक संगठन मेँ सेवा केन्द्रौ के अभिज्ञान ,का विशेष महत्व
है। किसी क्षेत्र में सेवा केन्द्र वह अधिवास होता है, जौ मुख्यतः अपने चतुर्दिक विस्तृत क्षेत्र
मे उपभोक्ताओं को सेवायें प्रदान करने तथा उत्पादन वितरकों को अपनी ओर आकृष्ट
करे गँ रावत रष्वा है. | जेफररानं (1931) के अयुरार रोवा केन्द्रों के उभधिज्ञान रो आश
उन अधिवासों के स्थानों व केन्द्रों के चयन से है, जो प्रदेश में सेवाओं का विसरण करते
हैं | किसी क्षेत्र में विभिन्न अधिवासों के समस्त महत्वपूर्ण कार्यों के विश्लेषण ए
अनुसंधान के माध्यम से सेवा केन्द्रों की पहचान की जा सकती है | वास्तव में यह एक
अति सावधानी भरा कार्य है | स्थानिक स्तर पर सेवा केन्द्रं कं अभिज्ञान के सम्बन्धमें
.. विभिन्न विद्वानों ने अनेक विधियों को अपनाया हे | किन्तु अभी तक कोई एक सर्वमान्य
विधि प्राप्त नहीं की जा सकी है, जिसके माध्यम से सेवा केन्द्रों का अभिनिर्धारण किया.
जा सके | केन्द्रीयता का सूचकांक सभी केन्द्रों में समानता नहीं रखता, क्योकि प्रत्येक
न्द्र में र्पर। होने वाले कार्यं एवं कायात्मक इकाईयों में काफी भिन्नता पाई जाती है|
किसी क्षेत्र में सेवा केन्द्रों की केन्द्रीयता का निर्धारण करते समय उस क्षेत्र की सामाजिक- `
आर्थिक दशाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिये । केन्द्रीयता का महत्व न केवल सेवा
केन्द्रों के अभिज्ञान में है अपितु इसके माध्यम से सेवा केन्द्रों के पदानुक्रमीय समस्या का.
_ समाधान भी किया जा सकता है
अध्ययन क्षेत्र में सेवा केन्द्रों के अभिज्ञान हेतु मिश्र (1981) द्वारा अपनाई गई
विधि को ध्यान में रखते हुये सबसे पहले 1991 की जनपद जनगणना पुस्तिका तथा बांदा `
जनपद की ग्राम्य एवं नगर निदर्शिनी से सभी ग्रामीण तथा नगरीय अधिवासों के. 1
कार्यात्मक संरचना की जानकारी री हेतु एक सूची तैयार की गई । तत्पश्चात् अधिवासों के ।
आकार पर ध्यान न देकर अधिवासो मे सम्पन्न होने वाले शासकीय या अशासकीय कार्य `
तथा कायत्मिक सूची तैयार की गई तथा उन केन्द्रौ को सेवा केन्द्र कीश्रेणीमे लिया
की गया जिनमें निम्नलिखित विशेषतायें पायी जाती हे (1: न
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