शैवमनोरंजनी (भाग- 1,2,3,4) | Shaiv Manoranjani (1,2,3,4 Part)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
292
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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॥
प्रथम भाग । १५
1 लाकवनी ॥
वाराणसी वसावों श्र, वाराणसी बसा-
सौरे । वहुत दिननसे झास लगी है अव क्या
देर लगावो रे ॥ मणीकर्णिका घाट के ऊपर
गढ़ नित्य नहाँवों रे । तारकेश्वर पूजन करिके
टु दिशज पर जावों रे ॥ मैरोनाथपरी के मालिक
तिनके दरसन पावों रे । अन्नपूरणा परन करिंदे
चरन सरन चित लावों रे । विश्वनाथ पद पूजन
करकं सभा जाय जस भोरे । ज्ञान बाउरी
करं आचमन आवागमन मिटर्षोरे ॥ दीन
व॑ यह नाम तजो नहि नयनरोग नसां
२। देविसहाय पुकारत आस्त गिरना ठम
समुफामोरे ॥ ९४॥
१ दो०-रहे चर्पघर झाधघ जव, शुभ मति देवि सहाय ।
भजन कद्यो यह प्रेम सो, तन सन सक्रल् लगाय॥ १॥
द्धैन चचन छनि शंथु स, क्यो गौरि शङलाय ।
दीजिय इग निज दास को, नाथ दिये हर्लाय ॥ २॥,
य॒द् घुनि दीन शयालु दर, दई पूं समदीटि।
लह मक्त दित भापदी गिरिजा मई बसोडि ॥ ३ ॥'
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