श्री कुंदकुन्दाचार्य चरित्र | Shree Kundkundacharya Charitra

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Shree Kundkundacharya Charitra by मूलचन्द किसनदास कापड़िया - Moolchand Kisandas Kapadiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कुंदकुंदाचार्य चरित्र. द्‌ जैन अंधमां वे चंद्रयुप्तनुं वर्णन छे, ते वंने संवंधी उछेख क्रमे कमे करवामा आवे. आ उपरथी वे चंद्रगुप् जुदाजुदा थईं गया होवा कोर्ट एं अनुमान नीकंठे छे, पण ते नद्मी कर- चनि जाथ वीजां प्रमाणों जोइंए. पूर्व पाटढीपुत्र (पटणा)मा “नंद” ए नामनो राजा राज्य करतो हतो तेने कट, नंद, सवं अने काची ए नामना चार्‌ मंत्री हता. तेमोनी साये राजा सानद्थी राज्य करतो हतो. एक वत ते राजा पर श्घुए सवारी करी. राजानी पुप्कृछ सेना होय तोन जा प्रसंग ख्डवानों छे, तेथी राजाए 'शुकट” मंत्रीची सलाह पुछी, त्यारे शकटे राजाने कद के-'हुं सैन्य पाछु फेखुं, पण मने जे गमें हे करवानी परवानगी आापो”. राजाने या वात पसद्‌ पडी अने वरतज शकटे राजा पासेथी नीकटी कोायार [तिजोरी]माथी पुप्क द्रव्य आापी तेनुं सैन्य पाइुं वाव्युं. पछी एक दिवसे राजाएं पोताना कोलागारनी पास करी, तो दव्य डं ङाखु, व्यरे रानाए खज्ानचीने ते वावत पुछतां तेणे सर्वे हकीकत निंवेदन करी. तेथी राजने कोष आव्यो भने तेगे शकटने तेना छैयां छोकरां साथे केद मां नांख्यो; त्यां तेना कुडुंबनां सबे माणसों दुः्खी थई यतप्राण थया अगे फक्त शंकट एकलो रहो. पुनः ते नंद अनापर . शच.




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