झरोखे | Jharokho

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Jharokho by श्याम महर्षि - Shyam Maharshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सर गाँव भर दात्या विष्पं सेकस उड़ती पर नहर काठ पढ़ग्यी इए मुदरा में एुमग्मो फरूं कपीन रो काम मिनस मोक पोर भददूरो करण तात्र एमन यकाम प जावहा साप्पा | म पातारं शोर रण्यो मी मिम मीं मिनस रौ मायो कोई कोनो निनरें भायों भ्याह्मेष कायम गोतेदै पठीने/बठीने पालिवा-पास लिया बता यता भूसा/विरस्यी जिनापर शेते हैर कंवारी भूपंड़ियां रा धान उड़ावता भटक साम्या मुतसा नीसरगी मऊ सास कानी हाइशा नोसरग्या ढोरां रा, मिनतां रा पातासां पेसग्यो पाणी भूल भर तिरस सूत मरण सगस्वा सिनस मजो होपो काग-विरमड़ां रस 1. नन्द भारदाज, भधार पल प° 13-14 2. रमेश मयक-परात : तीन वितरम्‌ 3. रामेशवर दयात धमासो, मदासो गांव पु० 47 { 15 1




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