भोंसला राजदरबार के हिंदी कवी | 1666, Bhonsla Rajdarbar Ke Hindi Kavi

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1666, Bhonsla Rajdarbar Ke Hindi Kavi by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(है ) श्रतर्मत रसवशन्‌, माववणनः सूपवणन एव प्रकृतिवणन की सोदाहरण चचाँ लेखक ते श्रपनी शैली मं प्रस्त की है । पंचम श्रष्याय में काव्यकला श्रौर श्राचायत्व की दृष्टि से प्रालोच्य कवियों के काव्य का मूल्यांकन किया गया है। कान्यकला का विवेचन मुख्यतः भारतीय काव्यशास्र के मानदंड पर कियां गया है जिसके. झंतगंत ग्रलंकार, वकोक्ति, रीति, ध्वनि श्रादि का समावेश है | श्रत में कला की दृष्टि से कवियों की रचनाओं का सूह्यांकन किया. गया है श्ौर निष्कष रूप मं निवेदन भी दिया गया दै । इसके पश्चात्‌ काव्यशास्च विषयक प्रथो कौ स्वना करनेवाले कवि निंतामणि, भूषण, संकर सुकवि तथा लोकमणि के श्राचायत्व पर थी विचार किया गया है इन आआचाय कवियों की काव्यशोस्र विषयक कृतियों की तुलना तत्वंबंधी झ्राद्धत संस्कृत अंथों से भी की गई है श्रौर श्रत मर लेलक ने निष्कर्ष रूप में झपना मत व्यक्त किया है । धिकार श्रप्रकाशित एवम्‌ झ्रज्ञात श्रंथों का काव्यकला की दृष्टि से यह विवेचन लेखक ने विशिष्ट दृष्टि से प्रस्तुत किया है । पष्ठ अध्याय मे श्रालोच्य कवियों के काव्य की साषाशेली तथा उनके हास प्रयुक्त ददथोजना पर विचार किया गया है । भाषाशेली का विमाजन मुख्यतः शब्दावली, भाव तथा .गुो के ्राध्रार पर किया गया दैः}: इसके झंतरगंतर काव्य में प्रयुक्त मुहावरों तथा कहावतों का. भी विवेचन. किया: गया है । .छंदयोजना में इन कवियों द्वारा प्रयुक्त प्रमुख छुंदों पर-विवेचन प्रस्तुत कर छुंदप्रयोग की इष्टि से इनकी सफलता असफलता पर. विचार किया गया ई | झंत में इनके द्वारा प्रयुक्त कुछ विशेष गीतशेलियों का भी सोदाहरण परिचय दिया गया है ! सप्तम अध्याय में मोंसला राजदरखबार के कवियों की रचनाओं में 'प्राप सामग्रों के श्राचार पर तत्कालीन सामाजिक जीवन एवं ऐतिहासिक तंथ्य का विवेचन कंथा गया है.श्रौर सामाजिक तथा एतिहासिक श्रध्यंयन की इष्ट से इनके महस्व पर मी प्रकाश डाला गया है | इस प्रकार संपूर्ण रोधप्रव॑ष मे भोंठला' दरबार के हिंदी कवियों में से झश्ञात कवियों तथा उनकी रचनाओं क्रो प्रकाश में लाने तथा शात कवियों के. संबंध में फंली हुई भ्रांतियों का झनुसंघान में ' उपलब्ध नंए मधं तथा तर्ावचि प्राप्त सामग्री के झाधघार पर निराकरंश कर कुछ निश्चित निष्कर्ष दिए




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