समयसार प्रवचन भाग - 3 | Samayasar Pravachan Bhag - 3
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
522
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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श्री समयसार प्रवचन
तीसरा भाग
श्रीमद् भगवत् कन्दङन्दाचायदेष प्रणीत
श्री समयखार शाल पर
*. परम पूज्य श्री कामजी स्वामी के प्रवचन
गाथा ३४ से प्रारम्म
शिप्य प्रश्न काता है कि हे मगवान | इस श्रातारामफाभयद्रय
का त्याग-वदद किसे कह्दा जाता है * इस श्ात्माराम को पर को छोड़ना-
बह क्या है * शिष्य स्यागवी बात समता है, तथापि. गुरुके निकट विनय
प्प प्यागकी बात पता है, एसे भाकाद्ती जीवको गुरु उत्त देते हैं ।
सव्ये भावे जह्य पच्चक्खाईं परेति णष्रूणं !
तद्या पव्चक्खाण शाण णियमा युणेयव्व ॥३९॥
अरे --जिससे पने श्रतिरिक्त सय पदार्थ पर है- रेप जान
षद् प्रत्या्थाम कता ६ै--त्याम कता हे, इते प्रव्याप्यान ज्ञान ही ३--
ऐसा नियमसे जानना । अपने ज्ञानम त्याग रूप झतस्था ही. अ्रत्यारयान है,
भय दुक नहीं । ्ः
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