समयसार प्रवचन भाग - 3 | Samayasar Pravachan Bhag - 3

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Samayasar Pravachan Bhag - 3 by श्री कानजी स्वामी - Shree Kanji Swami

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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) व नर कि बना. 3 () श्री समयसार प्रवचन तीसरा भाग श्रीमद्‌ भगवत्‌ कन्दङन्दाचायदेष प्रणीत श्री समयखार शाल पर *. परम पूज्य श्री कामजी स्वामी के प्रवचन गाथा ३४ से प्रारम्म शिप्य प्रश्न काता है कि हे मगवान | इस श्रातारामफाभयद्रय का त्याग-वदद किसे कह्दा जाता है * इस श्ात्माराम को पर को छोड़ना- बह क्या है * शिष्य स्यागवी बात समता है, तथापि. गुरुके निकट विनय प्प प्यागकी बात पता है, एसे भाकाद्ती जीवको गुरु उत्त देते हैं । सव्ये भावे जह्य पच्चक्खाईं परेति णष्रूणं ! तद्या पव्चक्खाण शाण णियमा युणेयव्व ॥३९॥ अरे --जिससे पने श्रतिरिक्त सय पदार्थ पर है- रेप जान षद्‌ प्रत्या्थाम कता ६ै--त्याम कता हे, इते प्रव्याप्यान ज्ञान ही ३-- ऐसा नियमसे जानना । अपने ज्ञानम त्याग रूप झतस्था ही. अ्रत्यारयान है, भय दुक नहीं । ्ः |




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