ऐतिहासिक स्थानावली | Etihasik Sthanavali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
1064
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डे ेतिहातिक स्थानाषतो
जंगगपर
संभवतः चपा । बुद्घरित 21,11 के अनुसार बुद्ध मे अगनगर में
पूर्वेभद्र पक्ष तथा कई नामो को प्रपरजित किया या।
्गारप्तुर दे» पिप्यतिशाहन
झंनगपवंत
वराहपुराण 80 में उस्लिखित सभबत. पजाव की सुलेमान-गिरिश्वसला ।
झंसनदन
साकेत फे निकट एके धना वन निसमे हरिणो का निवास था । यहां
गौतमबुद्ध और कॉडलिय नामक परिव्राजक मे दानिके वार्ता हुई थी
(सेमुत० 1,54,5,73) ।
पंघमी (म० प्र)
ममेदा की सहायक नदी । नर्मदा और अजनी वा संगम गौरीतीषं नामक
स्पान बे निकट इभा है जहां प्रिपरिया होकर मागं जाताहै ।
भटो (विला मेदक, भं० प्र०}
यह स्यान प्राषीन मदिरो के अवशेषो के लिए उस्तंषनीय है ।
प्ततिरि
हिमालय पवंत-प्रेणी का सर्वोश्व भाग मिसमे गौरीशकर, नददेवो, केदार-
भाष, यदरीनाप, त्रिशुल, धवलगिरि आदि चोटियां अवस्थित हैं जो समुद्रतल से
20 सहत एट वे अधिक ऊपी है । महा? समा 27,3 में अवधिरि का उस्सेस
इस प्रकार है--'अतर्थिरि थे कॉंतेयस्तपंद व दर्हििपम् तसेदोपपिरि षेव
पिभिग्ये पुष्पर्षभ *। इस प्रदेश को अर्जुन ने दिग्विजययात्रा के प्रसंग में
जीता था । पाली साहित्य मे अवगिरि को महाहिमवत भी कहा गया है ।
धंप्रेशी में इसी वो 'दि प्रेट सेट्रल हिमाठया' कहा जाता है। जैन सूमन्प्रय
अवुद्दीप-प्रशप्ति में भी इसका महाहिमवन माम से उससे है ।
झतवेदी (उ० प्र०)
शगा-पमुना के दीय का प्रदेश अपदा दोआया। अतदेंदी नाम प्राधीन
सप्त अभितेखो मे प्राप्त है । स्कदगुप्त के इदौर से प्राप्त अभिलेद में अतवेंदि-
विषय मे धाराक सर्यनाग श1 उस्लेंय है । ॥
झंतादी
सिरिया था शाम देश में स्थित ऐंटिओकस नामव स्थात का प्राचीन सस्कृत
रूप थिसका उल्लेख महाभारत में है--'अतायी षेय रोमां ष यवनानां पुर तया,
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