राजस्थान का आर्थिक विकास | Rajasthan Ka Arthik Vichar

Rajasthan Ka Arthik Vichar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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= प र विवि. ह. क (व ध ` ° ये चुकी है कक 4. में परिणित किया जा रहा है। आशा है -नेकट भविष्य म किसानों को भूमि मे सुधार कने कै लिये प अन द | ` ॐ रन के लियं 8 दिये जा्येगे। . ~ .* ही. 1 आावतर ७-उदोग-ंधों का जअमावः-- ६ ८ > र राजस्थान में. बड़े. कारखाने. कम-हैं । नगरों और कस्तों में रहने वाले मशुष्य राज्य की अनादी का कुल्‌ १७%. ही है । यह संख्या भी यही संकेत करती है कि इस राज्य में कारखानों का अभाव है । वड़े. वदे. काराय; नुंगरों में ही होते हैं । जनसंख्या कां '्धिकांश..भाग गाल मे; इने से गा 40 जनसंख्या का व्यन्निकांश, -माग गांवों में रहने के कारण इस राज्य में. सामोद्योगों को ही मुखता दी गई है । राज्य भर से मग ६ या 5 लाख मजष्य झामोथोगों या छुटीर ज्योगों में लगे हुए हैँ । बड़े कारलानों में काम करने वाले मुय की संख्या, गे केवल २४ हजार हो दे । इसे ने लोग भी सम्मिलित हैं. जो व्यापार व्यवसाय से भी लगे हुए हैं । प्राचीनकाल से दी राज्ञस्थान के विभिन्न-भागों -में.कई-प्रकार-की .हस्त- कौशल की वस्तुएँ तैयार की जा रही हैं। ऐसी वस्तुओं से छथ तो अपनी विशेषता के लिये अधिक प्रसिद्ध हं । उन वस्तु के लिये छु स्थान विशेष 'महत्व रखते हैं । मरस्थली भाग मे उन के कमल्‌ अच्छे बनते द । जैसलमेर घौर वीकातिर के कम्बल तो राजस्थान से वाहर मी. -नियांत किं जते दै । जयपुर के पीतल के वतन आर मूर्तियां प्रसिद्ध हैं । उदयपुर का लकड़ी को कामं और जोधपुर के कढ़ाई के जूते विशेष उल्लेखनीय हैं । चित्तौड़ आर पाली की ` कपड़ें की छपाई तथा नागैर और ङचामन की. के की वंधाई मसिद्ध है । कोटे के निकट वां मे कपड़ा अच्छा वना्यां जाता हे । मेड़ता की हाथी. दत्‌. की चस्तुएँ और मकरोंनें के संगमरमर के प्याले तथा अन्य वसतु बड़ी सुन्दर बनती हे । भ 5 = ३ । ४ ` इन वस्त्रों के अतिरिक्त राज्य मे शौर भी कई जगह विविध प्रकार की वस्तुएँ' चनतीहैं: जिनकी. मांग राजस्थान से बाहर मीहै। इन हस्तकलाओं में लगे हुए कारीगर आजकल यड़ी कठिनाई से अपना शुजारा कर पातिः हूं क्योंकि जनता मे मिलो मे वने हुए सस्ते माल की अधिक मांग है 1 ८-शक्ति के सांधन'-- की न ` वदे कारखाने फी राजस्थान मे कमी होने का सवं स, वड़ा करए यह्‌ है. कि यहां यांत्रिक शक्ति के साधनों . की कमी है। कारखाना में काम आते वाला कोयला बाहर से मंगाना पड़ता है। थोड़ा सा. कोयला, बीकानेर विभाग के पलाना स्थान से निक्रलता-दै परन्तं वह वियातः कारखान्‌( सदसक ग लेयला बीकानेर .के.शक्ति गृहं ( पावर हाउस ) म्रयोग नदीं क्रिया जाता -यह्‌ क




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