वैदिक छन्दोमीमांसा | Vedik Chhandomeemansa
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
278
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. युधिष्ठिर मीमांसक - Pt Yudhishthir Mimansak
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छन्दः पदु के अथ और उसके लक्षण ७
गायत्री च च्रहद्युष्णिग्जगती त्रिष्टवेव च]
अवुष्प पङ्किरिदयुक्तादछन्दांसि दस्यो रवेः
इनका भाव यही है कि सर्य के सात अश्व अथवा सप्तविध रदमि्योँमी
गायत्री आदि नामो से व्यवहृत होती ई । गायत्री यथवा स्येन का स्वर्गलोक से
धृरथिवी पर॒ सोमादरणसम्नन्धी वेदिक कथां का रहस्य भी इसी मे निहित है ।
सूर्घरव्िि के अर्थमें छन्टः पट का प्रयोग क्ग्वेद में भी उपलब्ध होता
ई । यथा--
श्रिये छन्द न स्म॑यते विभाती । च० ५।९२।६॥
अर्थात्--श्री ( = प्रकाश) के लिए छन्द के समान [ उपा ] मुस्कराती है
प्रका करती हूं 1
३-सप्तताम--माध्यन्टिन सं० १७1७९ की व्याख्या करते हुए शतपथ
९२३४४ में लिखा है--
छन्दासि वा अस्य [ अग्ते: ] सप्ततास प्रियाणि ।
मर्थात्--छन्द ही निश्चय ते इस [ अचरि ] के सात धाम प्रिय हैं ।
ये सात धाम कोन से ई, यह अनुसन्वेय रै ।
--अभ्नि कौ भरिया तचू-तेत्तिरीय संहिता ५।२।१ मे तित्तिरिका
प्रवचन दै--
अग्ने्वँ प्रिया तनू छन्दांसि ।
अर्थात्-- अनि की प्रिव तन् दो खन्द है |
वैदिक साहित्य में इसी प्रकार अनेक स्थों में छन्द: पढठ का प्रयोग
सिल्ता है ।
८--वेदबिदोप--स्वामी दयानन्ट सरस्वती ने अपनी त्ग्वेदादिभाष्य-
भूमिका में यजुः ३१1७ का ब्याख्यान करते हुए छन्दांसि का अर्थ अथवेवेद
किया दै | र
ठीकिक बाङ्य मे--कोन ग्रन्थो मे छन्दः पट के निम्न अर्थं उपलब्ध
होते है--
क -छन्द: पयोडभिलापे च । अमर ३।३।२३२॥
१, (छन्दांसि ) सथर्वच्दश्च 1......... चेदानां नायन्यादिछन्दोन्वि-
सतया ुनरछन्दां सीति पटं चतुर स्याथववेवेद स्योत्पत्ति इ्ापयतीति अवभेयम् |
(ऋरग्वेदुादिभाप्यभूमिकाः वेदो्पत्ति पधरकरण !
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